देवेन्द्र सिकरवार : ट्रम्प का वीजा फीस.. भारत के लिए अच्छा सिद्ध होगा.. भारत का ‘ब्रेन ड्रेन’ रुक जायेगा…
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हंगामा मचाया है कि अमेरिका में H1 वीजा की फीस बढ़ जाना मोदी की कमजोरी की निशानी है।
इसके साथ ही विपक्षी दलों के के आई टी पेड वर्करों ने छाती पीटना शुरू कर दिया है कि हाय हमारे बच्चे अब अमेरिका में कैसे जा पाएंगे?
इन्हें अब कौन समझाये कि ट्रंप ने जो वीजा फीस ठोकी है वो भारत पर नहीं,अपनी अमरीकी कंपनियों पर थोपी है जो भारत और बहुत सारे और देशों से उनके बच्चों को अमरीका बुला कर वहीं उनसे काम करवाते हैं।
ये फीस काम करने वाले को नहीं देनी है ये उस कंपनी को देनी होती है जिसने उसे हायर किया है।
अब अगर कोई कंपनी ये फीस नहीं देना चाहे तो वो अपने एम्प्लॉई को वापस भारत भेज देगी और यहीं से काम करवा लेगी, क्योंकि एक लाख डॉलर फीस देने से अच्छा उसको इतनी सेलरी भारत में ही दे दी तो बच्चा ज्यादा खुश होगा।
इसके अलावा यह नियम पुराने एम्प्लॉई पर लागू नहीं होगा।
हालाँकि ट्रम्प ने अपने देश के लोगों को इन नौकरियों में खपाने के लिए यह कदम उठाया है लेकिन अंततः ये अमरीकी आउटसोर्सिंग को और बढ़ावा देने वाला और स्वयं की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक सिद्ध होगा क्योंकि H1B पर रहने वाले लोग जो भी वहां कमाते है उसका 80% टैक्स और खर्च के रूप में वहीं वापस कर देते हैं और अगर वो होंगे ही नहीं तो कैसा टैक्स और कैसा खर्च?
अप्रत्यक्ष रूप से यह भारत के लिए अच्छा सिद्ध होगा क्योंकि इसरो और डीआरडीओ जैसे उच्च तकनीकी संस्थान ऑलरेडी एम्प्लॉई की कमी से जूझ रहे हैं क्योंकि वह अमेरिकी कम्पनियों की तरह इतना हाई पैकेज नहीं दे सकते।
मजबूरी की मार ही सही लेकिन भारत का ‘ब्रेन ड्रेन’ रुक जायेगा और भारत को ‘आर एंड डी’ में बहुत फायदा होगा।
