भूपेंद्र सिंग : जिस तरह से उप-राष्ट्रपति जी ने सुनाया है, वह ऐतिहासिक है
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार बार संसद और राष्ट्रपति के अधिकार पर अतिक्रमण के मामले पर जिस तरह से उप-राष्ट्रपति जी ने सुनाया है, वह ऐतिहासिक है।
उन्होंने उस भ्रष्ट जज के बारे में भी जम के जजों को सुनाया है जिसके यहाँ से कैश मिला पर आज तक FIR नहीं हुआ और उसे फिर से जज बना दिया गया।
वैसे देश में यदि कोई व्यक्ति इस मामले पर बोलने के लिए सबसे अधिक योग्य है तो यहीं हैं क्यूंकि माननीय उपराष्ट्रपति महोदय भारत से सबसे प्रमुख संविधान विशेषज्ञों में से एक हैं।
सरकार ने उनके माध्यम से एक कड़ा मैसेज न्यायालय को दिया है। दूसरी तरफ़ के केंद्रीय मंत्री किरण रिजुजू ने भी बिल्कुल उसी अंदाज़ में न्यायालय को चेताया है।
राष्ट्रपति वह व्यक्ति होता है जिसके नाम पर इस देश में सत्ता और शासन चलता है। प्रधानमंत्री, उसका कैबिनेट, विपक्ष सब उसकी के अधीन हैं।
वह राज्यपाल के माध्यम से राज्य पर भी शासन करता है और मुख्यमंत्री और उसका कैबिनेट समेत सारा विपक्ष राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के संरक्षण में शासन करता है। राष्ट्रपति, राष्ट्र के संविधान की शपथ नहीं लेता, वह संविधान की रक्षा की शपथ लेता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को निर्देशन देकर अपनी सीमा का भयानक उल्लंघन किया है। सरकार ने इस बार जैसी प्रतिक्रिया दी है, वह बहुत आवश्यक थी, उप-राष्ट्रपति जी को विशेष बधाई।
