कोयला खनन से बढ़ते प्रदूषण पर ग्रामीणों का आक्रोश – 9 सूत्रीय मांगों को लेकर पर्यावरण संरक्षण मंडल को सौंपा ज्ञापन

त्रिनेत्र टाइम्स  कोरबा, 19 मार्च 2025: कोरबा-पश्चिम क्षेत्र के दीपका खदान से प्रभावित ग्राम सिरकी के ग्रामीणों ने क्षेत्र में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों का कहना है कि कोल डस्ट के कारण वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और दैनिक जीवन पर पड़ रहा है। उन्होंने कोयला कंपनियों पर प्रदूषण रोकथाम के प्रति उदासीनता बरतने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

कोल डस्ट से बढ़ रही बीमारियां, सांस लेना हुआ मुश्किल

ग्राम की उप सरपंच कमलेश्वरी दिव्या और भू-विस्थापित संघ के अध्यक्ष ने बताया कि कोयला खनन और परिवहन से उत्पन्न कोल डस्ट की समस्या विकराल होती जा रही है। कोयला कंपनियां अपने वार्षिक उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने में लगी हुई हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को लेकर उदासीन बनी हुई हैं। भारी वाहनों के कारण कोल डस्ट हवा में उड़कर घरों तक पहुंच रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं और विभिन्न बीमारियां फैल रही हैं।

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ग्रामीणों ने 9 सूत्रीय मांगें रखीं

ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को 9 सूत्रीय मांगों वाला ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:

  1. श्रमिक चौक दीपका से सिरकी मोड़ तक सड़क किनारे और नालियों में जमे कोल डस्ट की सफाई की जाए।
  2. सड़क किनारे लगे स्प्रिंकलर की मरम्मत कर उन्हें चालू किया जाए।
  3. कोल साइडिंग में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा सुझाए गए उपायों को लागू किया जाए।
  4. कोल साइडिंग में प्रदूषण निगरानी उपकरण स्थापित किए जाएं।
  5. कोल हैंडलिंग प्लांट में स्प्रिंकलर को चालू किया जाए ताकि दीपका और आसपास के क्षेत्रों में कोल डस्ट की समस्या कम हो सके।
  6. कोयला परिवहन के दौरान नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाए ताकि धूल के प्रभाव को कम किया जा सके।
  7. प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाए।
  8. कोल परिवहन के लिए वैकल्पिक मार्ग विकसित किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदूषण कम हो।
  9. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए प्रदूषण स्तर के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए।

जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर स्पष्ट किया कि यदि जल्द से जल्द समाधान नहीं निकला, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि कोयला खनन कंपनियों को स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

अब देखना होगा कि पर्यावरण संरक्षण मंडल और कोयला कंपनियां इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाती हैं।

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