स्मृति ईरानी से क्यों आगे हैं सरोज पांडे…? मंत्री बनेंगी..!

कोरबा। बाहरी और स्थानीय प्रत्याशी को को लेकर जारी राजनीति के बीच मतदाताओं का स्पष्ट रूप से मानना है कि अब वो समय बीत गया जब जनता ऐसे बात को गंभीरता से लेती थी। आज का मतदाता समझदार है वो जानता है कि कौन सा प्रत्याशी उनके लिए विकास के दरवाजे खोल सकता है। स्थानीय या बाहरी प्रत्याशी होने का प्रभाव नहीं पड़ता। प्रभाव पड़ता है तो कामकाज के तरीके पर, क्षेत्र के विकास पर।


क्षेत्र का विकास होने पर जनता खुद का उसके साथ जुड़ाव महसूस करती है। कामकाज के विषय पर देखा जाए तो कोरबा लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से भी आगे निकल गईं हैं। कारण यह कि अमेठी लोकसभा चुनाव में 2014 की हार के बाद भी लगातार अमेठी में विकास कार्यों में भिड़ी रहीं और परिणामस्वरूप 2019 के चुनाव में उनकी रिकॉर्ड जीत हुई। इसके बाद से राहुल गांधी ने पलटकर अमेठी को नहीं देखा।
लेकिन इसके विपरीत कोरबा लोकसभा में भाजपा नेत्री सरोज पांडे की किसी रूप में एंट्री ही नहीं हुई थी लेकिन इसके बाद भी वे कोरबा जिले के विकास के लिए करोड़ों रुपए अपने सांसद मद से जारी कर चुकीं थी, जो कि अपने आप मे एक रिकॉर्ड है।

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कोरबा क्षेत्र की बात भी उनके द्वारा संसद में उठाई गई थी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मेयर, सांसद वे अपने कड़े राजनीतिक संघर्षों के बाद बनी हैं। कोरबा क्षेत्र से सांसद बनने पर केंद्र-राज्य की डबल इंजन के सरकार का बड़ा लाभ जिलेवासियों को मिलेगा।
राजनीति के जानकार तो यह भी मानते हैं कि सरोज पांडे के चुनाव जीतने पर केंद्रीय नेतृत्व उन्हें मंत्रीमंडल में स्थान भी देगा और जब उनका कद बढ़ेगा तो स्वाभाविक रूप से जिले में केंद्र सरकार से बड़े प्रोजेक्ट लाकर वे स्थापित करेंगी, जिससे क्षेत्र के विकास के साथ ही रोजगार के अवसरों में भी अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होगी।

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