सुरेंद्र किशोर : हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ी !! ..क्योंकि अमेरिका भारत की तरह कोई धर्मशाला नहीं..इसीलिए भी अमेरिका दुनिया में एक नंबर पर

हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ी !!
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अमेरिका से घुसपैठियों को इसी तरह
निकाल बाहर किया जाता है।
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क्योंकि अमेरिका भारत की तरह कोई धर्मशाला नहीं।
इसीलिए भी अमेरिका दुनिया में एक नंबर पर है।
अपमानित करके अमेरिका से निकाले गये 104 कानून तोड़क भारतीयों की दशा पर यहां के कुछ वोट लोलुप नेता गण रोष प्रकट कर रहे हैं,आंसू बहा रहे हैं।
अवैध ढंग से भारत में घुसे बांग्लादेशियों-रोंहिग्याओं के वोट पर पलने वाले वैसे नेता चिंतित हो उठे हैं।उन्हें लगता है कि यदि मोदी सरकार हमारे इस वोट बैंक को इसी तरह जहाज में लाद कर ढाका हवाई अड्डा पर पहुंचाने लगेगी तो हमारी राजनीति का क्या होगा ?
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पर, अमेरिका में ऐसे देश द्रोही नेता नहीं बसते।इसलिए यह संभव हो सका।
वहां कानून का शासन है और कानून भी कड़ा है।
यदि वे 104 लोग भारत नहीं आते तो उन्हें अमेरिका में कितनी बड़ी सजा होती,उसका उन्हें अनुमान नहीं।
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विभिन्न अपराधों को लेकर वहां कितनी बड़ी और कड़ी सजा का प्रावधान है,उसका एक नमूना यहां पेश है।
साथ ही, वहां अदालती सजा की दर 93 प्रतिशत है।
करीब दो दशक पहले भारत के एक राजनीतिक परिवार के एक युवक अमेरिका के एक हवाई अड्डे पर नशीले पदार्थ,अवैध धन और महिला मित्र के साथ पकडे़ गये थे।
भारत में उनके परिवार में कोहराम मच गया।
क्योंकि उतने ही कसूर के लिए भी उस युवक को अमेरिका के जेल में 25 रिपीट 25 साल रहना पड़ स़कता था।
तत्कालीन दयालु प्रधान मंत्री अटल जी ने अमेरिकी सरकार के उच्चत्तम स्तर से संपर्क करके उसे रिहा करवा दिया।
याद रहे कि अटल जी की ऐसी दयालुता के कारण भाजपा को कभी लोक सभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला।

मोदी जी वैसे दयालु नहीं हैं।मोदी अपराधियों के प्रति तो कतई नहीं ।
बल्कि देश और आम जनता के प्रति दयालु हैं।
इसलिए मोदी जी से यहां की शांतिप्रिय देशभक्त जनता यही उम्मीद कर रही है कि वे पहले बांग्ला देश में स्थिति सामान्य करने का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करें।उसके बाद अमरीकी स्टाइल में बांग्ला देशियों-रोहिंग्याओं को जहाजों में भर-भर कर ढाका पहुंचा दें।अन्यथा यह देश नहीं बचेगा।

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