अमित सिंघल : रक्षा-अंतरिक्ष क्षेत्र में कांग्रेस ने भारतीय मेधा एवं राष्ट्रप्रेम की जगह आयात पर विश्वास जताया

ChatGPT जैसा कुछ ओरिजिनल भारत या चीन में क्यों नहीं बना, इस प्रश्न पर एक कमेंट देखने को मिला कि मोदी जी ने क्या किया है?

इस विषय पर विचार-विमर्श करते है।

Veerchhattisgarh

क्या आपने ध्यान दिया है कि मोदी सरकार पूर्व रक्षा एवं अंतरिक्ष जैसे उद्यम निजी क्षेत्र के लिए नहीं खुले थे? कोंग्रेसियो की सोच थी कि हम विदेश से हथियार आयात कर लेंगे, लेकिन देश में निर्माण से राष्ट्रीय सुरक्षा को संकट हो सकता था। सोनिया एवं उसके परिवार ने कभी भारतीय मेधा एवं राष्ट्रप्रेम पर विश्वास ही नहीं किया।

बाद में मोदी सरकार ने रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षेत्र को भी निजी उद्यमों के लिए खोल दिया। अब निजी क्षेत्र में ड्रोन, हथियार, यान, स्पेस टेक्नोलॉजी का निर्माण हो रहा है। पहली बार एक भारतीय निजी कंपनी ने नवंबर 2022 में एक राकेट लांच किया था। बाद में अन्य निजी उद्यमों ने भी स्पेस में अपना यान भेज चुकी है। इस वर्ष एक भारतीय निजी कंपनी ने अंतरिक्ष में सॅटॅलाइट भेजा है।

प्रधानमंत्री मोदी प्रयास कर रहे है, अंग्रेजो के समय के कई नियम-कानून समाप्त कर दिए है; कंप्लायंस बर्डन (compliance burden) – किसी संस्था को चलाने के लिए नियम-कानून के पालन एवं प्रशासनिक लागतों का बोझ काफी कम कर दिया है। उदाहरण के लिए, GST के कारण विभिन्न राज्यों में अलग-अलग करो को नहीं भरना होगा; कॉरपोरेट टैक्स कम कर दिया; श्रम कानूनों को आसान बना दिया; पूँजी की उपलब्धता आसान कर दी है; लॉजिस्टिक एवं ट्रांसपोर्टेशन हब से निर्यात-आयात सुगम हो गया। उद्यमियों की प्रशंसा एवं उत्साहवर्धन कर रहे है। मेड इन इंडिया पे जोर दे रहे है। समय-समय पर हैकाथॉन (सॉफ्टवेयर कोडिंग के लिए प्रतियोगिता) करवा रहे है जिससे नयी मेधा उभर कर सामने आये।

परिणाम यह हुआ कि केवल अब तक 200 से अधिक अंतरिक्ष से सम्बंधित एवं 9000 से अधिक बायोटेक से सम्बंधित नयी कंपनियां (स्टार्टअप) लांच हो चुकी है। लगभग 120 स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का स्टेटस (अर्थात एक बिलियन डॉलर या 8500 करोड़ रुपये की वैल्यू) प्राप्त कर लिया है। इन स्टार्टअप ने लगभग 16 लाख लोगो को रोजगार दिया है।

दूसरे शब्दों में, अब भारतीय युवा स्थापित नौकरी से कन्नी काटना शुरू कर दिए है; रिस्क लेने लगे है।

ऐसा नहीं है है कि हर व्यक्ति उद्यम शुरू कर सकता है। लेकिन अगर पांच प्रतिशत युवा भी सरकारी नौकरी से ध्यान हटाकर उद्यम की तरफ ध्यान दे तो वे बाकी युवाओ को जॉब देने की क्षमता रखते है।

और क्या पता, कौन सा आईडिया जो भारत की भूमि से निकला हो, कल का एप्पल, फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, उबेर, Airbnb, ChatGPT, WeWork, Nvidia की तरह एक अग्रणी, क्रांतिकारी, अत्याधुनिक उत्पाद को सर्वप्रथम मार्केट में उतार दे।

फेसबुक के मार्क ज़ुकरबर्ग, माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स या एप्पल के स्टीव जॉब्स ग्रेजुएट पास नहीं है या थे।

सरकारी लाइसेंस प्रणाली या तंत्र या इनसे जुड़े लोकल भ्रष्टाचारी अधिकारी के बाद भी भारत ने कॉपी करके ओयो, ओला, PayTM, कोविड वैक्सीन, इनफ़ोसिस, विप्रो, लोकल स्मार्ट फोन, जोमैटो इत्यादि बना दिया है।

लाखो लोग सोशल मीडिया, यूट्यूब, रील्स इत्यादि के द्वारा हजारो-लाखो रुपये प्रति माह अर्जित कर रहे है। क्या उन्हें किसी सरकार, नियम-कानून, या फिर बाबू ने रोका है? अगर बाबू चाह भी ले, तो वह ऐसे उद्यमों को नहीं रोक सकता है।

अब एक नवयुवती या नवयुवक को उद्यम को शुरू करने के लिए विशाल पूँजी, भूमि, परिसर, लेबर की आवश्यकता नहीं है। अब उन्हें सिर्फ नॉलेज या ज्ञान की आवश्यकता है, वही उनकी पूँजी है। उस ज्ञान के लिए किसी परीक्षा को भी पास करने की आवश्यकता नहीं है, ना ही डिग्री की। वह ज्ञान कंप्यूटर और सेल फ़ोन पे उपलब्ध है। उस ज्ञान को डिजिटल नेटवर्क के द्वारा जोड़ा जा सकता है। कुछ मित्र मिलकर कुछ हज़ार रुपये में अपने घर या हॉस्टल से उद्यम शुरू कर सकते है, नयी खोज कर सकते है। इसके लिए उन्हें सरकार से परमिशन की आवश्यकता नहीं है। उन्हें मार्केट और समाज में किसी कमी को ताड़ना होगा और उसे डिजिटल सोल्युशन के द्वारा पूरा करना होगा।

आज बहुत से IT उद्यम ब्यूरोक्रेसी की नाक से नीचे से शुरू किये जा सकते है। जब तक ब्यूरोक्रेसी को पता चकता है, तब तक देर हो जाती है। अर्थात, वह आईटी उद्यम सफल एवं विशाल बन जाता है।

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