राजीव मिश्रा : अगर मीडिया कहती है कि चुनाव बराबरी के हैं, टक्कर कांटे की है तो इसका मतलब होता है कि…

चुनाव दूर से समझ में नहीं आते. चुनाव चाहे भारत के हों, या इंग्लैंड के… वहां रहते हुए मुझे उन्हें समझने में कभी समस्या नहीं हुई. लोकसभा 2014 हो या 2019, या फिर इंग्लैंड के पार्लियामेंट्री चुनाव. पर 2024 में मैं भारत नहीं आया तो लोकसभा चुनाव के परिणाम एकदम से अप्रत्याशित दिखाई दिए.
अभी अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के बारे में अनुमान लगाना कठिन हो रहा है. मई के महीने में अमेरिका से गुजरा था तो ट्रंप की लहर साफ दिख रही थी. न्यूयॉर्क जैसे डीप ब्ल्यू स्टेट में भी कपड़ों की दुकानों में ट्रंप के टी शर्ट्स और कैप भरे पड़े थे. पेनसिल्वेनिया जैसा स्विंग स्टेट तो बिल्कुल ट्रंप के कटआउट्स और स्टार एंड स्ट्राइप झंडों से रंगा हुआ था. हालांकि ट्रंप न्यूयॉर्क नहीं जीतने वाले, लेकिन फिर भी हार्लेम जैसे ब्लैक नेबरहुड में ट्रंप की सफल चुनावी रैली बताती है कि चुनावों में हवा किधर बह रही थी.

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लेकिन पिछले कुछ महीनों में बूढ़े, बीमार और अपनी स्मरणशक्ति खो चुके कठपुलती राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद मीडिया फिर से उत्साहित हो गई है. मीडिया का कहना है कि स्थितियां बदल गई हैं. चुनाव बिल्कुल कांटे के हैं.ऐसे में दूर से यह प्रेडिक्ट कर पाना कठिन है कि अमेरिकी चुनाव किसके पक्ष में जाएंगे.

पर पिछले कई चुनावों में मीडिया का एक पैटर्न पहचानने में सफल रहा हूं. अगर मीडिया कहती है कि वामपंथी दल या उम्मीदवार थोड़े से मार्जिन से जीत रहे हैं, तो वे हार रहे होते हैं. अगर वामपंथी दलों को स्पष्ट जीत मिल रही होती है तो उसको मीडिया लैंडस्लाइड और एकतरफा घोषित कर देती है. और अगर मीडिया कहती है कि चुनाव बराबरी के हैं, टक्कर कांटे की है तो इसका मतलब होता है कि वामपंथी साफ साफ हार रहे होते हैं. बीबीसी और सीएनएन जो भी कहता है, आप उसमें 5 से 20% तक का करेक्शन दक्षिणपंथ की ओर कर सकते हैं.

ऐसे में मीडिया का यह कहना कि चुनाव में कांटे की टक्कर है और पेनसिल्वेनिया में ट्रंप को मामूली सी बढ़त है मुझे व्यक्तिगत रूप से विश्वास दिलाता है कि ट्रंप पेनसिल्वेनिया बहुत बड़ी बढ़त से जीत रहे हैं, और यदि यह सही है तो ट्रंप का अगला राष्ट्रपति बनना अपेक्षित है जो पूरे विश्व के लिए और विशेषतः भारत के लिए एक राहत की बात होगी. तीन दिन और, और दुनिया का भाग्य चुनावी बक्सों में कैद हो जाएगा.

-साभार।

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