दिलीप मंडल : पर.. मोदी फ़ीनिक्स पक्षी की तरह अपनी राख से ज़िंदा होकर खड़े हो गए..और…

गोदी मीडिया ने कल सुबह मोदी का अंतिम संस्कार कर डाला था! फिर मोदी जी उठे!

कल सुबह आठ से दस बजे के बीच भारत ने देख लिया कि “गोदी मीडिया” जैसी कोई चीज नहीं है।

कल इस समय पूरी मीडिया, टीवी चैनल, भाजपाई करार दिए गए एंकरों, कट्टर भाजपाई माने गए विश्लेषकों, सबने मिलकर मोदी का “अंतिम संस्कार”और क्रिया कर्म कर ही दिया था। सेक्युलर ब्रिगेड, वामपंथी और ग्लोबल कट्टरपंथी तो सोशल मीडिया पर अलग नंगा नाच रहे थे।

मैंने कल सुबह गोदी मीडिया के एक एक को मोदी का मज़ाक़ उड़ाते देखा – अब खेल खत्म! फ़िनिश! आज हरियाणा गया! कल झारखंड और महाराष्ट्र जाएगा! फिर बिहार! मोदी सरकार गई! मोदी का जादू गया!

मैंने सबका वीडियो बना लिया है।

एंकर और एंकरानियां चैनलों पर कैसे चहक रही थीं। ख़ुशी फूटकर गालों से बाहर आ रही थी कि चलो ग़रीबों के लिए काम करने वाले ओबीसी पीएम से अब छुटकारा मिल जाएगा।

पर दोपहर होते होते मोदी फ़ीनिक्स पक्षी की तरह अपनी राख से ज़िंदा होकर खड़े हो गए।

सबक:

1. कोई गोदी मीडिया नहीं है।
2. ये सब मोदी के कमजोर पड़ने की ताक में हैं। भाजपाई माने जाने वाले एंकर भी दिल से ओबीसी पीएम से नफ़रत करते हैं।
3. मीडिया ने मोदी को नहीं बनाया है।
4. मोदी मीडिया के बावजूद हैं।
5. मीडिया की जितनी नफ़रत मोदी ने पिछले 25 साल में झेली है, वह अभूतपूर्व है। वह नफ़रत दबी है। ख़त्म नहीं हुई है।
6. मोदी की ताक़त वोटर, लोकतंत्र और संविधान है। मोदी को वोटर ने बनाया है। संविधान कमजोर पड़ा नहीं कि मोदी खत्म।

-श्री दिलीप मंडल के पोस्ट से साभार।

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