ऑनलाइन गेम रातों रात बिन मेहनत के अमीर बनने की लालसा
ऑनलाइन गेम रातों रात बिन मेहनत के अमीर बनने की लालसा ,21 वी सदी की नई टेक्नोलॉजी ,इंटरनेट युग की सबसे बड़ी बीमारी है,कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है,पढ़ा लिखा अनपढ़ बुड्ढा जवान कोई भी इन खेलों का प्रचार बड़े बड़े सितारे करते हैं,खेलिए और जीतिए करोड़ों,उन्होंने खुद कितने रुपये जीते हैं कोई नहीं बताता,कभी शायद खेला भी नहीं होगा,शुरू में मनोरंजन के लिए खेलते हैं कुछ जीतते भी हैं,तो लगता है कि हम जीत सकते हैं,सिर्फ 5,7 मौके और जिंदगी बदल जायेगी।
आदमी यही सोच कर पैसे लगाता है,लेकिन ये खेल जिताने के लिए नहीं हराने के लिए बनाए गए हैं,लोगों ने अपनी किडनी तक बेच दी है,शादी के पढ़ाई के पैसे तक गेम में लगाये गए हैं,सड़कों पर भीख तक मांगी है,भूंखे प्यासे रहकर भी गेम के लिए पैसे जुटाये हैं।
लेकिन इसमें जीतता सिर्फ खिलाने वाला है,किसी एकाध खेलने वाले को भी ये जितवा देते हैं,जो इन्हीं का ही आदमी होता है,जिंदगी में शॉर्टकट सफलता का कुछ बना ही नहीं है,जुए की जीत बुरी है हार अच्छी,क्योंकि शुरुआत की हार आपको हिमांशु बनने से रोक देती है।
जीवन मे पैसा ही मत्वपूर्ण है,जुआ खेलकर कमाया,स्मैक बेचकर,या किसी के बच्चे को उठाकर उसकी फिरौती मांग कर ,नहीं देखा जाता,ज्यादातर युवा सोच ऐसी ही है,जेब मे पैसे,एक हाथ मे सिगरेट,दूसरे में शराब, बगल में लड़कीं,घुमने के लिए गाड़ी बस यही तो चाहिये, जीवन इसी का तो नाम है।
दिवास्वप्न से बाहर निकलिए, ये नशा सर्वनाश का कारण है,खा जाएगा आपका सबकुछ जीवन भी,ये शराब और स्मैक जैसा ही है,आपकी बुद्धि को कंट्रोल करता है,आपके जीवन को कंट्रोल करता है,आपको मानसिक गुलाम बनाता है,क्योंकि मालिक वो नशा है आप नहीं।
जीवन मे सफलता का अर्थ मात्र पैसा कमा लेना ही नहीं है,पैसा तो शरीर बेचकर भी लोग कमा ही लेते हैं,मजदूरी करके भी दिन के 400,500 कमा लेने वाला व्यक्ति अगर ईश्वर को उसके लिए धन्यवाद देता है,
उस पैसे को अपने परिवार के विकास के लिए खर्च करता है,रूखा सूखा खाकर जमीन पर सोकर सुबह फिर अपने काम पर निकल पड़ता है,तो उससे सुखी आदमी कोई दूसरा नहीं है।
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-चित्र साभार।