सुरेंद्र किशोर : जेल जाते ही मंत्री पदमुक्त माने जाएं,ऐसा संवैधानिक प्रावधान हो

इस देश के संविधान निर्माताओं ने इस बात की कल्पना तक नहीं की थी कि कोई मंत्री,मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री जेल जाने के बाद भी अपने पद से इस्तीफा नहीं देगा।

इसीलिए संविधान निर्माताओं ने यह नहीं लिखा कि जेल जाने के साथ ही मंत्री,मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री अपने पद से स्वयंमेव मुक्त माना जाएगा।
तब कल्पना नहीं की तो कोई बात नहीं !
उनकी गलती नहीं थी।
दरअसल संविधान निर्माताओं के दिमाग में यह बात ही नहीं आई कि आने वाले दशकों में राजनीति पर कैसी -कैसी ‘‘प्रजातियां’’ हावी हो जाएंगी।
अब यह काम संसद करे।
अन्यथा, हमारे देश के कुछ अजूबे किस्म के नेतागण लोकतंत्र की और भी फजीहत करते रहेंगे।
संविधान में संशोधन करके ऐसा प्रावधान संसद कर दे कि कोई मंत्री,मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री जेल जाते ही अपने पद से मुक्त माना जाएगा।
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यदि संसद ऐसा नहीं करेगी तो आने वाली पीढ़ियां इस अनर्थ के लिए आज की संसद को भी जिम्मेदार मानेगी।
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एक बात और,
जेल जाने के बाद विचाराधीन कैदी को मतदान करने से वंचित कर दिया जाता है।
पर, विचाराधीन कैदी को जेल से भी नामांकन पत्र दाखिल करने और चुनाव लड़ने की छूट दे दी जाती है।
इस विरोधाभास को भी संसद समाप्त करे।

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