डॉ. भूपेन्द्र सिंह : जातीय जनगणना.. इसका घाटा कांग्रेस को ही होना है
जातीय जनगणना आज नहीं होगा तो कल होगा, कल नहीं होगा तो परसों होगा लेकिन एक न एक दिन ज़रूर होगा।
यह एक बंद मुट्ठी जैसा है जो खुल गई तो कोई मूल्य नहीं है। इसका घाटा कांग्रेस को ही होना है। इसी कारण बिहार के नीतीश कुमार जातीय सर्वे कराते हैं और सार्वजनिक करते हैं जबकि कर्नाटक में कांग्रेस ने जातीय सर्वे कराया था लेकिन आज तक हिम्मत नहीं हुई कि उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर सके।
जो कुछ एक भाजपा नेता अपने सामाजिक ज्ञान के अभाव में इसके विरोध में बातें कर रहे हैं, दरअसल वह मूर्खता कर रहे हैं। सच बात यह है कि जातीय जनगणना भाजपा ही करायेगी। भाजपा को एक मौक़ा मिला उसने एक राष्ट्रवादी वैज्ञानिक सोच के मुस्लिम को राष्ट्रपति बनाया, दूसरा मौक़ा मिला दलित को बनाया, तीसरा मौक़ा मिला आदिवासी को बनाया। अंबेडकर जी को, कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न किसी और ने नहीं भाजपा ने ही दिया। कांग्रेस ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने परिवार के पास ही प्रधानमंत्री पद रखा और जब दूसरों के पास गया तो वह भी उच्च वर्ग के लोग ही थे।
कांग्रेस इस देश में यथास्थितिवाद का नाम है। कांग्रेस देश में जो व्यवस्थाएँ अंग्रेज छोड़ कर गये हुए थे, उन व्यवस्थाओं को वैसे की वैसे बनाकर रखने वाले सोच का नाम है। कांग्रेस की अपनी यह नीति इस देश में कभी भी उसके द्वारा वास्तविक परिवर्तन नहीं होने देगी। कांग्रेस देश की जनता को ज़्यादा एक्सपोज़ नहीं होने देती।
जब तक अटल जी नहीं आये थे तब तक दो लेन की सड़क ही हाईवे समझी जाती थी, गाँव में सड़क पर मिट्टी डाल देना सड़क निर्माण माना जाता था। गाँवों में बिजली पहुँचना ग्रामीणों का अधिकार नहीं बल्कि कृपा समझा जाता था। गैस सिलेंडर मिलना, फ़ोन कनेक्शन मिलना, नया ट्रांसफ़ॉर्मर लगना, इंदिरा आवास मिलना, शौचालय मिलना, ये सब एक एहसान था, अधिकार नहीं। इंदिरा आवास भी मिलता था तो उसका मतलब था एक रूम बन जाना, शौचालय जैसा बनता था, उसमें ग्रामीण जाते नहीं थे बल्कि उसमें उपले रखते थे।
भाजपा देश को यथास्थितिवाद से निकालती है। इसके सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक तीनों आयाम होते हैं। सामाजिक आयाम में सभी जातियों के भीतर सम्मान और सामंजस्य की भावना, धार्मिक आयाम में हिंदुओं के भीतर स्वाभिमान का जागरण और राजनीतिक आयाम में यथास्थितिवाद का टूटना और लोकोन्मुखी संवैधानिक सुधार होते हैं।
जातीय जनगणना यथास्थितिवाद को तोड़ना है। इसका होना कांग्रेस के जड़मूल में मट्ठा डालने जैसा है। कांग्रेस फ़िलहाल यह आवाज़ इसलिए उठा रही है क्योंकि इसकी माँग जातीय जागरण के लिए कम और विभाजन के लिए अधिक है। जातीय जनगणना से कोई यदि सबसे अधिक दुष्प्रभावित होगा तो वह है कांग्रेस एवं गांधी परिवार।
पी चिदंबरम ने एक बार बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही थी “जैसे जैसे इस देश में लोकतंत्र गहरा होता जायेगा, वैसे वैसे कांग्रेस कमजोर होती जायेगी।”, यह सौ प्रतिशत सत्य है।
जातीय जनगणना से न बिहार में कोई भूकंप आया, न इस देश में आने वाला है। यह एक हौवा है, एक खुजली है, इसे आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों भाजपा ही शांत करेगी।
मेरा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी से आग्रह है कि केंद्र सरकार को छोड़िये, आप ही इसे उत्तर प्रदेश में शुरू कराकर इस खुजली को शांत करिए ।