सुरेंद्र किशोर : इंडिया गठबंधन को सत्ता में आने से रोककर यह देश भारी विपत्ति से बच गया !

इंडिया गठबंधन को सत्ता में आने से रोककर
यह देश भारी विपत्ति से बच गया !
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‘‘सी.बी.आई.-इ.डी. बंद होने चाहिए’’
—-सपा नेता अखिलेश यादव
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इंडियन एक्सप्रेस –क्या इंडिया गठबंधन की सरकार दूरगामी परिणाम वाला ऐसा कदम उठाएगी ?
अखिलेश यादव–यह मेरा प्रस्ताव है।मैं इंडिया गठबंधन के समक्ष रखूंगा।
—-इंडियन एक्सप्रेस -19 मई 2024
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कल्पना कीजिए कि गत लोक सभा चुनाव के बाद देश में ‘‘इंडिया गठबंधन’’ की सरकार बन गयी होती !
फिर क्या होता ?
सपा नेता अखिलेश यादव सी.बी.आई.-ई.डी.की समाप्ति का प्रस्ताव गठबंधन सरकार के सामने रखते।
सी.बी.आई.-ई.डी.से परेशान नेताओं से भरे इंडिया गठबंधन
का नेतृत्व सपा नेता के इस प्रस्ताव को मंजूर करता या नामंजूर ?
कांग्रेस के पिछले इतिहास को ध्यान में रखें तो यह कहा जा सकता है कि मंजूर कर लेता।चाहे बाद में उसका जो नतीजा होता।

सी.बी.आई.–ई.डी.की अनुपस्थिति में इस देश के घोटालेबाज लोग सार्वजनिक संपत्ति के साथ कैसा सलूक करते ?
अब तक कैसा सलूक करते रहे हैं ?
जिन नेताओं पर सी.बी.आई.-ई.डी.घोटाले के मुकदमे चला रहे हैं , उन घोटालेबाजोें को अदालतें आम तौर पर कोई राहत नहीं दे रही है।क्योंकि सबूत ठोस हैं।
वैसे भी कांग्रेस का तो अदालतों को भी निष्क्रिय कर देने का इतिहास है।

अखिलेश यादव की उपर्युक्त टिप्पणी 19 मई 2024 के अखबार में छपी थी।
यानी, अखिलेश यादव की मंशा जान लेने के बावजूद उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के एक बड़े हिस्से ने सपा को भारी विजय दिलाई।
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शुक्र है कि राजग को बहुमत मिल गया और मोदी प्रधान मंत्री बन गये।
नहीं बने होते तो कल्पना कीजिए इंडिया गठबंधन वाले नेता लोग इस देश के साथ कैसा सलूक करते ?!
यानी, यह देश भारी विपत्ति से फिलहाल बच गया।
वैसे बिल्ली अब भी दरवाजे के पास छिपकर घर वालों के लापारवाह होने की प्रतीक्षा कर रही है ताकि दूध पी सके।
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सिर्फ दो नमूने
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आपातकाल में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने एक विधेयक तैयार किया था।उसमें यह प्रावधान किया गया था कि प्रधान मंत्री और लोक सभा के स्पीकर के खिलाफ सामान्य अदालतों में मुकदमा नहीं चलेगा।
उसके लिए ़िट्रब्यूनल बनेगा।उसे संसद से पास करवाना था।पर,बाद में कुछ कारणवश विचार बदल गया और उसे पास नहीं करवाया गया।
पर मानसिकता तो देखिए।
यू.पी.में जब सपा की सरकार थी तो उसने उन जेहादियों के खिलाफ जारी मुकदमों को उठा लिया था जिन पर धारावाहिक विस्फोट करके अनेक लोगों की हत्या करने का आरोप था।यह और बात है कि हाईकोर्ट ने सपा सरकार के उस आदेश का खारिज करके मुकदमा चलवाया और कई जेहादियों को फांसी की सजा हुई।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव कानून की दो धाराओं के उलंघन के आरोप में इंदिरा गांधी की लोक सभा की सदस्यता 12 जून 1975 को रद कर दी।


उसके बाद इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी।देश को खुले जेलखाने में बदल दिया।
शीर्ष अदालत तक को पालतू बना लिया गया।
जन प्रतिनिधित्व कानून की उन धाराओं को संसद से बदलवा दिया गया जिनके उलंघन के आरोप में इंदिरा गंांधी की सदस्यता गयी थी।उस संशोधन को पिछली तारीख से लागू करा दिया।डरे हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन संशोधनों को मान लिया।आम तौर से कानून पिछली तारीख से लागू नहीं किये जाते।

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