राष्ट्र निर्माण में जनजातियों का उल्लेखनीय योगदान है, जनजातीय संस्कृति भारत की पहचान है – उपराष्ट्रपति
राष्ट्र निर्माण में जनजातियों का उल्लेखनीय योगदान है, जनजातीय संस्कृति भारत की पहचान है – उपराष्ट्रपति
जनजातियां भारतीय संस्कृति व प्रजातंत्र को स्थायित्व और मजबूती प्रदान करती हैं – उपराष्ट्रपति
सिकल सेल की बीमारी भावनात्मक, सामाजिक और वित्तीय रूप से प्रभावित करती है, इसका जड़ से उन्मूलन ही एकमात्र उपाय – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने 2047 तक सिकल सेल उन्मूलन के लिए सभी से सक्रिय होकर कार्य करने का आह्वान किया
हमें सिकल सेल की बीमारी से प्रभावित लोगों को हर संभव सहारा देना होगा ताकि उनका सामाजिक जीवन सार्थक बने – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने विश्व सिकल सेल दिवस-2024 के अवसर पर डिण्डौरी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया

माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज विश्व सिकल सेल दिवस-2024 के अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा डिण्डौरी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा ‘सिकल सेल जागरूकता’ पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा सिकल सेल के स्क्रीनिंग शिविर का भी निरीक्षण किया।
अपने संबोधन में श्री धनखड़ ने कहा कि सिकल सेल की बीमारी परिवारों को भावनात्मक, सामाजिक और वित्तीय रूप से प्रभावित करती है और इसे जड़ से उन्मूलन करना ही एकमात्र उपाय है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि सरकार द्वारा इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए आयुष्मान भारत योजना में बदलाव किया गया है।
2047 तक भारत को सिकल सेल बीमारी से मुक्त करने के उद्देश्य से प्रारंभ किये गये राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन-2047 की प्रशंसा करते हुए श्री धनखड़ ने सभी से सक्रिय होकर इस मिशन को सफल बनाने के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उनहोंने कहा कि “2047 का हवन शुरू हो चुका है और इस हवन में सभी को आहुति देनी है… भारत की प्रगति पर कोई अंकुश नहीं लगा पाएगा और पूर्ण आहुति तब होगी जब सिकल सेल का उन्मूलन 2046 में पूर्ण रूप से होगा।”
