सुरेंद्र किशोर : पद ठुकराना और स्वीकारना

एन.सी.पी. नेता प्रफुल्ल पटेल ने राज्य मंत्री पद अस्वीकार कर दिया।
खैर, उनकी मर्जी !!
पर,बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री चंद्रशेखर सिंह जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए तो उन्हें वहां राज्य मंत्री का ही दर्जा मिला था।
हालांकि अस्सी के दशक में राज्य मंत्री का पद ठुकराते हुए भागवत झा आजाद राष्ट्रपति भवन से शपथ ग्रहण समारोह छोड़कर पैदल ही आवास लौट आये थे।
नब्बे के दशक में संयुक्त मोर्चा के सारे नेता वी.पी.सिंह के ड्राइंग रूम में बैठे रह गये,राजा साहब अपने घर के पिछले दरवाजे से निकल गये।
उन्हें एक बार फिर प्रधान मंत्री बनाने के लिए नेतागण उनके आवास गये थे।


संयुक्त मोर्चा ने प्रधान मंत्री पद के लिए ज्योति बसु का नाम तय कर दिया था।पर सी.पी.एम.के पाॅलिट ब्यूरो ने उन्हें यह पद नहीं लेने दिया।
सी.पी.एम.के एक बड़े नेता ने बताया था कि ई,एम.एस.नम्बूदरीपाद आम तौर पर पाॅलिट ब्यूरो की बैठक में शामिल नहीं होते थे।पर ज्योति बसु को पी.एम.बनने से रोकने के लिए वे भी उस बैठक में शामिल हुए।
पर जब सोमनाथ चटर्जी को लोक सभा का स्पीकर बनाना हुआ तो पाॅलिट ब्यूरो ने विरोध नहीं किया।
बाद में ज्योति बसु ने कहा कि मुझे अवसर न देकर पार्टी ने गलती की थी।
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सत्तर के दशक में दारोगा प्रसाद राय और केदार पांडेय बारी- बारी से बिहार के मुख्य मंत्री रह चुके थे।पर बाद की कांग्रेसी सरकार के राज्य मंत्रिंडल में वे दोनों शामिल हुए।कैबिनेट मंत्री बने।
किसी ने दारोगा बाबू से पूछा,ऐसा आपने क्यों किया।
उन्होंने विनोद के लहजे से कहा ,मान लीजिए कि मुझे दिल्ली तुरंत जाना जरूरी है।मेल या एक्सप्रेस ट्रेन उपलब्ध नहीं है।तो क्या मैं पेसेंजर ट्रेन नहीं चला जाऊंगा ?
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और अंत में
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जदयू महा सचिव के.सी.त्यागी ने कहा है कि नीतीश कुमार को पी.एम.पद का आॅफर मिला था।ठुकरा दिया।
कांग्रेसी नेता ने इस दावे का खंडन किया है।Even Sanjay jha contradicted
किंतु सवाल है कि जब इंडिया ब्लाॅक से नीतीश को उम्मीद थी,तब तो कांग्रेस ने नेता नहीं बनाया।अब कंगाल बैंक का मैनेजर बनाने का आॅफर दे दिया।
हालांकि पहले भी नीतीश कुमार को उस पद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी।
मद्रास के मुख्य मंत्री रहे के.कामराज की इज्जत कई प्रधान मंत्रियों से अधिक रही है।
मुख्य मंत्री पद से नीतीश को संतोष करना चाहिए।अब कानून-व्यवस्था ठीक करने व भ्रष्टाचार कम करने के काम पर ध्यान दें।ज्वलनशील तत्वों की बातों को नजरअंदाज करें तो नीतीश की छवि कुल मिलाकर अच्छी है सिर्फ दो ‘‘भटकावों’’ को छोड़कर।

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