सुरेंद्र किशोर : केंद्र में अगली सरकार के गठन के तत्काल बाद भ्रष्टों के खिलाफ कार्रवाइयों में तेजी और सख्ती आने की उम्मीद

‘‘जब से मोदी सरकार आई है, तब से लग रहा है कि
सत्ता पक्ष और विपक्ष में दुश्मनी हो।
अटल जी के समय में ऐसा नहीं था।’’


भ्रष्टों-जेहादियों के खिलाफ बेलाग-बेलौस-समझौताविहीन कार्रवाइयों के कारण ही अधिकतर मतदातागण नरेंद्र मोदी यानी राजग को लोक सभा चुनाव में बार-बार स्पष्ट बहुमत दे रहे हंै।
दूसरी ओर ,अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार समझौतावादी थी।
इसलिए उनके समय में भाजपा को कभी लोकसभा में बहुमत नहीं मिला।
नरेंद्र मोदी भी यदि नरमी दिखाएंगे तो इनका बहुमत भी अगले चुनाव में नहीं रहेगा।
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दिल्ली के एक वरिष्ठ पत्रकार ने हाल में एक टी.वी.चर्चा में
कहा कि ‘‘जब से मोदी सरकार आई है, तब से लग रहा है कि
सत्ता पक्ष और विपक्ष में दुश्मनी हो।
अटल जी के समय में ऐसा नहीं था।’’

दरअसल सन 2014 में सत्ता में आने के बाद ही प्रधान मंत्री नरंद्र मोदी ने
साफ- साफ यह कह दिया कि ‘‘हम न खाएंगे और न खाने देंगे।’’
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सन 2014 से पहले ‘‘परस्पर लेनदेन’’ का संबंध था।यानी,तुम हमें बचाओ,हम तुम्हंे बचाएंगे।
कांग्रेस सरकार के घोटाले को अटल सरकार ने रफादफा करा दिया।
बाद में अटल सरकार के घोटाले को मनमोहन सरकार ने नजरअंदाज कर दिया।कांग्रेस के प्रथम परिवार पर दो प्रमुख मामलों में अटल सरकार का बड़ा एहसान था।
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मोदी सरकार ने एक दूसरे को बचाने के इस ‘खेल’ के परंपरागत नियम को बदल दिया।
इसलिए सत्ता और प्रतिपक्ष के बीच आपसी तनाव बढ़ गया है।अभी और बढ़ेगा।
पर दूसरी ओर आम जनता खुश है।
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संकेत हैं कि नयी सरकार के शपथ ग्रहण करने के बाद यह तनाव और भी बढ़ेगा।काफी बढ़ेगा।
हां,इसमें गैर राजग दलों की एक शिकायत में कुछ दम जरूर नजर आता है।
शिकायत यह है कि आम तौर पर अधिकतर मामलों में गैर राजग दलों के नेताओं के खिलाफ ही जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं ?
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वैसे इस शिकायत का निदान प्रतिपक्षी नेताओं व वकीलों के पास मौजूद है।
डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर करीब 12 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दे दिया कि अब किसी भी भारतीय नागरिक को यह अधिकार है कि वह किसी भ्रष्ट पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ जांच के लिए अदालत की शरण ले सकता है।
उसी आदेश के तहत डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बड़े बड़े नेताओं जैसे सोनिया,राहुल,ए.राजा और जयललिता के खिलाफ कोर्ट में केस किया और सफलता पाई।
पर शर्त है कि आपके पास सबूत होने चाहिए।जबानी जमा खर्च से कोर्ट नहीं मानेगा।सबूत जुटाने में मेहनत कीजिए।
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यदि कांग्रेस या अन्य प्रतिपक्षी दलों का कोई नेता डा.स्वामी की उपर्युक्त राह पर नहीं चल रहा है तो इससे यह साबित होता है कि किसी बड़े भाजपा नेता के खिलाफ उनके पास सबूत नहीं जुट पा रहा है।

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