पवन विजय : …फिर शिव के साक्षात स्वरूप आदि शंकराचार्य की जय बोलिए
आज वैशाख शुक्ल पंचमी है। आज के दिन केरल कलादी गांव में आचार्य शिवगुरु के यहां मंगल स्वर उठ रहे थे। मां आर्यम्बा अपने पुत्र के साथ सुशोभित थीं। बालक के मस्तक पर चंद्रमा की छाप थी, संसार ने उसे आचार्य शंकर ने नाम से जाना। आदि गुरु शंकराचार्य की आज जन्म जयंती है, उनके बारे में कहने को बहुत कुछ है, आज हम जो कुछ हैं वह आचार्य के तप के कारण मिले पुण्य की वजह से है लेकिन इस अवसर पर मेरा एक आग्रह है,

आपके बच्चे को बताइए कि सत/असत क्या है।
आपके बच्चे को बताइए कि प्रस्थान त्रयी क्या है।
अपने बच्चे को दशावतार बताइए।
अपने बच्चे को ध्रुव, प्रहलाद, श्रवण, नचिकेता, अष्ट्रावक्र, आचार्य शंकर, अपाला,घोषा के बारे में बताइए।
अपने बच्चे को वैदिक शब्द से परिचित कराएं।
अपने बच्चे को संस्कृत सिखाइए।
अपने बच्चे को लोकगीतों और लोककथाओं के बारे में बताइए।
अपने बच्चे को लक्ष्मण गीता, विभीषण गीता, भगवद गीता के बारे में बताइए।
अपने बच्चे को साड़ी धोती पहनना सिखाइए।
अपने बच्चे अपना सांस्कृतिक कोड बताइए।
अपने बच्चे को अपने गोत्र का इतिहास, कुल का इतिहास,धर्म का अर्थ बताइए
अपने बच्चे को सूर्य नमस्कार सिखाइए।
…फिर शिव के साक्षात स्वरूप आदि शंकराचार्य की जय बोलिए।
