अमित सिंघल : मणि शंकर अय्यर को पता होना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी को “पागल” व्यक्तियों से निपटना आता है..
ऐसी क्या बात है कि मणि शंकर अय्यर पाकिस्तान की ओर से बंदर घुड़की दे रहा है कि पाकिस्तान के पास परमाणु बम है और मोदी सरकार पाकिस्तान से अगर बात-चीत नहीं करेगी तो भारत पर परमाणु बम से हमला हो सकता है।
इस विषय को मैडमैन थ्योरी (madman theory) या पागलव्यक्ति सिद्धांत के संदर्भ में समझने का प्रयास करते हैं।
मैडमैन थ्योरी के जनक अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को माना जाता है। सोवियत यूनियन और उसके मित्र देशो से निपटने के लिए निक्सन ने अपने विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर से यह अफवाह फैलवा दी कि निक्सन विवेकरहित और अस्थिर व्यक्ति है, एक तरह से विक्षिप्त इंसान है जो पता नहीं कब भड़क कर परमाणु बम से हमला कर दे।
अब परमाणु हथियार सोवियत यूनियन के भी पास था। लेकिन कोई भी राष्ट्र ऐसा युद्ध नहीं चाहता था जिसमे शुरू में ही अमेरिका अप्रत्याशित रूप से विनाशकारी हमला कर दे। यद्यपि रूसी लोग लोग भी बाद में उतना ही विध्वंसकारी जवाब देते, लेकिन अपने स्वयं के नुकसान होने की संभावना से मामले को तूल नहीं देते थे।
इस सिद्धांत को पाकिस्तान एवं अय्यर ने भी अपना लिया। इसके नेताओ ने यह ढोंग करना शुरू कर दिया कि वे पागल है और भारत को परमाणु हमले में नष्ट कर देंगे। इस ढोंग, इस धमकी का एक इतिहास है।
1990 में वी पी सिंह सरकार के समय पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से रूसी फौज हटने के बाद सारे आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में लड़ने के लिए भेज दिया था। आतंकवादी 26 जनवरी 1990 को कश्मीर की स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले थे।
उस समय पाकिस्तान के विदेश मंत्री साहिबजादा याकूब खान ने भारत आने का निर्णय लिया जिससे वे दोनों देशों के बीच तनाव कम कर सके। भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री आई के गुजराल से मिलने के बाद वे दोनों साउथ ब्लॉक के गलियारे से बाहर निकल रहे थे।
एकाएक साहिबजादा ने कहा कि “गुजराल साहेब, इस बार की लड़ाई पिछले युद्धों की तरह साफ सुथरी नहीं होगी। आप की नदियां, पर्वत, शहर सब आग में झुलस जायेंगे। एक उस तरह की आग जिसको आप सोच भी नहीं सकते हैं और पहले दिन ही यह सब हो जाएगा”।
गुजराल अचकचा गए। वह समझ गए कि साहिबजादा उनको परमाणु बम गिराने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने अपने आप को संभाला और साहिबजादा से कहा कि “ऐसी बातें ना करें तो अच्छा है, याकूब साहब, क्योंकि हमने भी उन्ही दरियों का पानी पिया है जिनका आपने…”।
गलियारे में ऐसी धमकी क्यों दी? मीटिंग रूम में क्यों नहीं? क्योकि मीटिंग रूम में कही गयी हर बात को एक अधिकारी नोट करता है जिससे वह वार्ता ऑफिसियल रिकॉर्ड में दर्ज हो जाती है।
उस समय वायु सेना के चीफ एस के मेहरा को प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने विचार-विमर्श के लिए बुलाया। गुजराल उस मीटिंग में उपस्थित थे। उन्होंने मेहरा से पूछा कि क्या वह एक पाकिस्तानी लड़ाकू जहाज को भारत पर बम गिराने से रोक सकते हैं।
मेहरा ने जवाब दिया की एयर फोर्स इस बात की गारंटी नहीं दे सकती। लेकिन अगर ऐसी घटना हुई तो हमें वापस जवाब देना होगा। और फिर मेहरा ने पूछा कि अगर वायु सेना को जवाबी कार्रवाई करनी होगी तो क्या मैं देख सकता हूं कि हमारा परमाणु बम कैसा दिखायी देता है? किस प्लेटफॉर्म या जहाज पर इसे लादना होगा और कैसे इसको डिलीवर करना होगा।
मेहरा के अनुसार गुजराल एकदम से घबरा गए। मेहरा के प्रश्न में यह छुपा हुआ था कि भारत के पास उस समय ना तो बम था, ना उसको डिलीवर करने की क्षमता।
इस घटना का वर्णन शेखर गुप्ता अपने लेख में कर चुके हैं और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने अपनी पुस्तक Neither A Hawk Nor A Dove में इस “धमकी” की पुष्टि की है।
पाकिस्तानियों के मन में यह बात बैठा दी जाती है कि भारतीय (हिन्दू पढ़िए) कायर है और एक घुड़की से डर कर भाग जाएंगे। दूसरी बात यह है कि उन्हें पता है कि भारतीय विवेकशील होते है; वे बीसियों जोड़- घटाना लगाएंगे और इस निष्कर्ष पे पहुंचेंगे कि एक आतंकवादी हमले के जवाब में अंदर घुसकर मारने से युद्ध हो जाएगा जिसमे भारत का इतना-उतना नुकसान हो जाएगा और फिर चुप बैठ जाएंगे। तीसरा, विश्व समुदाय परमाणु युद्ध की आशंका से भारत पे दबाव डालेगा कि वह कोई ऐसी कार्रवाई न करे जिससे बात बढ़ जाए।
पाकिस्तान के इस पागलव्यक्ति सिद्धांत को पहली बार वाजपेई सरकार ने तोड़ा जब उन्होंने संसद पे आतंकवादी हमले के बाद मुशर्रफ की “धमकी” के बावजूद सीमा से सेना हटाने से मना कर दिया। अब मुशर्रफ की हालत खराब हो गयी। उसे पता था कि एक्चुअल युद्ध में उसकी सेना एक दिन भी नहीं टिक पाएगी। और परमाणु शस्त्र के प्रयोग का मतलब पाकिस्तान विश्व के नक़्शे से ही गायब हो जाएगा।
लेकिन सोनिया सरकार के समय में फिर से पाकिस्तान की मैडमैन थ्योरी काम कर गयी क्योकि अय्यर जैसे सलाहकार सरकार में मंत्री थे। कई आतंकवादी हमले हुए। मुंबई में भयंकर हमला हुआ। कॉंग्रेसियो ने शोर मचाया, लेकिन कोई ऐसा एक्शन नहीं लिया जिससे अगले वहशी हमले के लिए आतंकी दस बार सोचे। एक्शन ले भी नहीं सकते थे क्योकि सोनिया सरकार ने एक भी बड़ा हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और लड़ाकू विमान खरीदा ही नहीं था।
फिर मोदी सरकार आ गयी। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकी हमले का जवाब दिया जाएगा। सर्जिकल स्ट्राइक का पकिस्तान ने खंडन किया क्योकि उसे स्वीकार करने का अर्थ था कि पाकिस्तानियों को पिलाई गयी घुट्टी के विपरीत भारतीय कायर नहीं है तथा वे बीसियों जोड़-घटाना करके घर में घुसकर जवाब देंगे जिसके बदले में पकिस्तान खुले तौर पे कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। इसके अलावा सर्जिकल स्ट्राइक पे विश्व समुदाय ने भारत का साथ दिया।
तभी एक पाकिस्तानी मंत्री ने फ़रवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद फिर से परमाणु हमले की धमकी यह कहते हुए दी कि भारत के मंदिरो में घंटी बजनी बंद हो जायेगी। क्योकि उन्हें पता है कि कंगाली के कारण पाकिस्तान युद्ध में नहीं टिक सकता। उसे पता है कि यह बात भारत को भी पता है।
अब अय्यर ने पुनः मैडमैन थ्योरी को अलमारी से बाहर निकाल लिया है और झाड़-पोछकर उसका सहारा ले रहा है। उसे लगता है कि भारतीय इस थ्योरी से डरकर राहुल को वोट दे देंगे।
चुनाव के समय अय्यर के वक्तय्व का यही उद्देश्य है!
