नितिन त्रिपाठी : कोर कार्यकर्ता.. ये है कोर वोट – सारे आँकड़ों से परे.
यह कहानी बहुत बार सुना चुका हूँ. बीसेक वर्ष पूर्व की बात है तब बैलट से चुनाव होते थे. एक कार्यकर्ता था सांसद जी से बहुत नाराज़ था. पूरा चुनाव खूब उल्टा सीधा बोलता रहा. सबको लग रहा था कि ये भाजपा को वोट तो क़तई नहीं देगा.
पोलिंग बूथ पर गया. बैलट पेपर हाथ में लिया, चप्पल उतारी और चार पाँच चप्पल बैलट पेपर पर मारी. फिर कमल पर मोहर लगाई, पीछे सबको दिखाया कि देखो वोट कमल को है. नाराज़गी थी तो चप्पल मार लिया पर वोट अंततः कमल को.
भाजपा का कोर कार्यकर्ता ऐसा ही होता है. वोट भाजपा को देगा पर पाँच साल नाराज़ रहेगा. हर सांसद विधायक मंत्री को मौक़ा मिलते ही गरियाने में नहीं चूकता. पूछो कितनी सीट आयेंगी जितनी विपक्ष को उम्मीद होगी उससे भी एक दो कम बताएगा. पर ऐन मौक़े पर वोट वो जाता भाजपा को ही है. ये है कोर वोट – सारे आँकड़ों से परे.
गिरधारी लाल गोयल जी हैं. पानी पी पी कर गरियाते रहते हैं भाजपा को. अब हम सबने उनकी एंटी भाजपा रैंट को सीरियसली लेना भी बंद कर दिया है वह इतना ज्यादा बोलते हैं. लेकिन चुनाव वाले दिन बैठते हैं जाकर भाजपा के बस्ते पर ही बाल बच्चों नाती पोतों को लेकर.
यह कार्यकर्ता वाला वो वोट बैंक है जिसका सीक्रेट कोई और पार्टी नहीं तोड़ सकती. न इन्हें सत्ता में भागीदारी मिलेगी न विशेष कोई सुविधा. और उसके एवज़ में ये दोगुना गालियाँ भी देकर पूरी वसूली कर लेंगे. पर अंत में वोट जाता कमल को ही है.