भारत 500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली पनडुब्बी क्रूज मिसाइल परीक्षण के लिए तैयार
भारत अगले महीने मार्च में पूर्वी तट से 500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली सबमरीन लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (एसएलसीएम) का परीक्षण करने की तैयारी में है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार इस मिसाइल से भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
भारत अगले महीने मार्च में पूर्वी तट से 500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली सबमरीन लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (एसएलसीएम) का परीक्षण करने की तैयारी में है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार इस मिसाइल से भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि क्रूज मिसाइल के दो वेरिएंट है जिनमें लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलएसीएम) और एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइल (एएससीएम) शामिल हैं। आगामी परीक्षण नौसेना क्षमताओं पर विशेष ध्यान देने के साथ भारत की रक्षात्मक शक्ति को बढ़ाने की योजना है।
रक्षा मंत्रालय 800 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली लैंड क्रूज की खरीद की तैयारी में
बता दें कि रक्षा मंत्रालय 800 किलोमीटर की मारक क्षमता जमीन पर हमला करने वाली क्रूज मिसाइल की खरीद पर विचार-विमर्श के लिए इस सप्ताह एक बैठक बुलाने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के इस कदम से देश की सैन्य ताकत में और वृद्धि होने की उम्मीद है, यह कदम रक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
लक्ष्य को सटीकता से भेदने के लिए थ्रस्ट वेक्टर नियंत्रण इन-फ़्लाइट विंग परिनियोजन और इन-फ़्लाइट इंजन स्टार्ट जैसी तकनीकी का इस्तेमाल एसएलसीएम में शामिल किया गया है। इससे पहले पिछले वर्ष फरवरी में किए गए एक परीक्षण में मिसाइल ने 402 कि.मी. की सीमा हासिल की थी। इस पहल में डीआरडीओ के साथ सहयोग करने वाले प्रमुख भारतीय कंपनियां जिनमें लार्सन एंड टुब्रो,गोदरेज और समीर शामिल हैं। इन साझेदारियों से भविष्य में मिसाइल विकास परियोजनाओं में विस्तार होने की उम्मीद है, जो स्वदेशी रक्षा उद्योग के विकास में योगदान देगी।
भारत के पास मौजूद है ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलें
भारत की रक्षा क्षमताओं में पहले से ही ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलें शामिल हैं, जो करीब 800 किमी से अधिक दूरी तक लक्ष्य को निशाना बना सकती हैं। भारत अपनी मिसाइल प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ा रहा है, ये विकास एक मजबूत और आधुनिक रक्षा बुनियादी ढांचे को बनाए रखने क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।