समर प्रताप : धर्म को मानने वाले ही हॉस्पिटल चलाते है
हॉस्पिटल तो इंसान जाना नही चाहता है मजबूरी में जाता है।
धर्मस्थल पर वो इच्छा से जाता है।।
अधूरे तर्क,अधूरी बातें,किसी भी लेखक के फोटो के साथ चार लाइन लिखकर लोग व्याख्या करने लगते है।
राम मंदिर की बात हो या किसी ऋषि या साधु के बीमार होने की बात।
इनकी एक ही बात मिलेगी की साइंस धर्म से बड़ी है।
और धार्मिक इंसान कभी भी दोनो की तुलना नही करता है।
क्योकि मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा या चर्च जाना उनकी एक प्रार्थना या दिनचर्या है।
वैसे ही पढ़ाई भी उनके जीवन के लिये जरूरी है दुनिया का कोई भी धर्म आपको आधुनिक होने से नही रोकता है।
हां ये नकली क्रांतिकारी जरूर आपको इतिहास या कबीले होने के लिये बोलेंगे जबकि खुद साइंस का इस्तेमाल करके उन्नत है।
लेकिन धर्म की चर्चा पर साइंस की तुलना धर्म से करेंगे।
मैं इन्हें हमेशा बोलता हूं वर्तमान में ईश्वर को मानने वाले ही वैज्ञानिक है।
धर्म को मानने वाले ही हॉस्पिटल चलाते है।
दुनिया के सबसे उन्नत काम वही करते है।
बिल्डर बिल्डिंग में मंदिर जरूर बनाएगा।
हॉस्पिटल में मंदिर जरूर होगा।
सब वेज्ञानिक अपने इष्ट की पूजा करके ही नई खोज शुरू करते है।
जो डॉक्टर नास्तिक होगा धर्म पाप नर्क कर्मफल नही पढा होगा वही किसी की किडनी निकाल के बिक्री करेगा।
जिसने सही शिक्षा ली होगी धार्मिक होगा वो डॉक्टरी भी धर्म के साथ करेगा।
दूध लेने गया एक अहीर की डायरी में तो मै ऐसे ही बातो में बोला कि यूरिया वेगरा तो नही मिला देते तो वो बोला गलत चीज नही देंगे धर्म के साथ धंधा करते है भाई।
लेकिन आजकल मूर्खो के,जातिवादियों के ज्यादा फॉलोवर्स है क्योकि वो आपके गलत को भी जाति के प्राउड से जोड़कर आपको फ़ीलिंग देते है।
कभी हॉस्पिटल और मंदिर की तुलना करेंगे।
जबकि दोनो एकदम अलग जरूरत है।
हॉस्पिटल बनाना सरकारों की जिम्मेदारी है मंदिर इंसान कमा के अपनी शांति के लिये बनाता है जैसे जैसे कोई भी राज्य,गांव,देश या इंसान समृद्ध होगा वो बड़े धर्मस्थल बनाएंगे।
हॉस्पिटल तो इंसान जाना नही चाहता है मजबूरी में जाता है।
धर्मस्थल पर वो इच्छा से जाता है।।
