सुरेंद्र किशोर : नेहरू ने हटाया था इन्हें संविधान से अगले संस्करण से पहले.. जीत के बाद मोदी ठीक करेंगे…!
संविधान निर्माताओं ने 5 हजार साल की भारतीय संस्कृति को चित्रांकनों के जरिए हमारे संविधान की मूल काॅपी से जोड़ा था।
पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन चित्रांकनों को संविधान के अगले संस्करणों से हटवा दिया।
संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान की जो मूल काॅपी प्रकाशित करवाई,उसके पन्नों पर अनेक चित्रांकन थे।
वे चित्र भारत की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करते थे।
मूल काॅपी में अन्य चित्रांकनों के अलावा राम के वन गमन का चित्रांकन भी उपलब्ध है।
मेरे पुस्तकालय सह संदर्भालय में संविधान की (अंग्रेजी व हिन्दी में) जो मूल प्रतियां उपलब्ध है,उनमें जो चित्र हैं,उनमें से कुछ चित्र इस लेख के साथ प्रस्तुत कर रहा हूं।
अब सवाल है कि संविधान निर्माताओं की भावना को चोट पहुंचाते हुए उन चित्रों को बाद के संस्करणों से क्यों हटवा दिया गया ?
उस निर्णय के पीछे कौन सी प्रवृति काम कर रही थी ?
इतना बड़ा निर्णय क्या प्रधान मंत्री की अनुमति के बिना संभव था ?
जाहिर है कि यह काम प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही किया।
यह स्वाभाविक ही था।
क्योंकि नेहरू जी का भारतीय संस्कृति से कोई खास प्रेम तो था नहीं।आज की कांग्रेस भी गांधाीवादी कम और नहरूवादी अधिक हैै।
(कांग्रेस को उसका खामियाजा 2024 के लोस चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।संकेत तो यही हैं।)
जिस देश के संविधान से उसकी संस्कृति को काट दिया जाए,उस देश का अंततः क्या हश्र होगा ?
वही होगा जो हुआ और हो रहा है।
भाजपा के जानकार प्रवक्ता डा.सुधांशु त्रिवेदी कहते हैं कि ‘‘अपना देश तो सही मायने में सन 2014 में आजाद हुआ।
उससे पहले तक तो यह एक अर्ध मुस्लिम देश था।’’
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यदि देश अब ‘आजाद’ हो गया तो मूल प्रतियों के चित्रांकनों को संविधान के नये संस्करणों में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है ?
सवाल उठ सकता है कि अब बेचारे मोदी जी एक साथ कितने काम करें ?
तो मैं बताता हूं कि वे यह काम कब करें।
अगला लोकसभा चुनाव जीत कर सत्ता में आने के बाद
वे इस काम को भी करवा ही देंगे,ऐसी आशा की जानी चाहिए।
