कौशल सिखौला : तारीख पूछने वाले तारीख से भयभीत होकर बिना संयोजक सीटों के बंटवारे पर पर लगे
सुर बदल रहे हैं । जो आजीवन राम के अस्तित्व को नकारते रहे , उनके सुर बदल रहे हैं । कम से कम यह तो कहने लगे कि राम बीजेपी के नहीं , सबके हैं ? यह तो कहने लगे हैं कि बीजेपी राम का राजनीतिकरण करने लगी है ? जिन्होंने राम काज के कार्य में सदा विघ्न डाला , जिन्होंने बार बार तारीख पूछी , अब तारीख पास आने पर तारीख के प्रभाव से भयभीत हैं।
तभी कह रहे हैं कि राम पर किसी एक दल का अधिकार नहीं । यह ठीक बात है । तो सभी दल एक एक कर जताइए राम पर अधिकार ? जब कहते हैं कि राम सबके हैं तो चलिए दलबल सहित अयोध्या ? और हां , अभी से काशी मथुरा का बीड़ा आप उठा लीजिए । अन्यथा आगे चलकर एक दिन फिर कहेंगे कि शिव और कृष्ण सबके हैं , बीजेपी वालों के नहीं । तो चलिए , मत चूको चौहान ?
प्राण प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आने का एक तो फायदा हुआ । 22 तारीख से भयभीत इंडिया गठबंधन ने बिना संयोजक या बिना फेस चयन किए ही राज्यों में सीट बंटवारे पर काम शुरू कर दिया । आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की बैठक दिल्ली में हुई । मायावती से फटकार खाकर अखिलेश के स्वर भी कमजोर पड़ रहे हैं । आज महाराष्ट्र में तीनों धड़ों की बैठक हो रही है । बिहार में तालमेल होने में पेंच हैं , पर शायद ज्यादा दिक्कत नहीं होगी । बशर्ते के नीतीश के पीएम चेहरे पर सहमति हो जाए।
बंगाल में अधीर रंजन चौधरी की जुबान और ममता की अकड़ सीट तालमेल होने नहीं देगी । फिर भी यह अच्छी बात है कि बिना नेता या संयोजक ही कुछ हलचल हुई है । गठबंधन का ड्राइवर बनना चाह रही कांग्रेस फिलहाल अपनी यात्रा की तैयारियों में व्यस्त है । अलबत्ता अगले दो तीन दिनों में सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच बैठक हो रही है । इस बैठक का प्रभाव लंबा नहीं पड़ेगा , चूंकि बातचीत केवल महाराष्ट्र को लेकर सीमित है , देश को लेकर नहीं।
राम मंदिर का वैभव तथा देश की आम जनता का जुड़ाव लगातार बढ़ता जा रहा है । इसका सीधा फायदा बीजेपी को स्वतः मिलने लगा , डॉट इंडिया की असली चिंता यही है । विश्लेषकों एवम चुनाव सर्वे एजेंसियों का अनुमान है कि 22 जनवरी के असर को बीजेपी जोर शोर से भुनाना चाहती है । कुछ ऐसी रिपोर्ट भी आ रही हैं कि 31 जनवरी बीतते ही चुनाव आयोग मार्च अप्रैल में आम चुनाव करा सकता है ।
हालंकि अभी यह केवल अनुमान है । वैसे अभी न भी हों , अप्रैल मई के दो महीनों में तो चुनाव होने लाजमी हैं । बूथ वार रणनीति पहले ही बना चुकी बीजेपी तैयारियों के मामले में पहले ही काफी आगे निकल चुकी है । अब जन जन तक राम मंदिर का संदेश पहुंचाने के लिए चावल वितरण जारी है । रही प्रत्याशियों के चयन की बात , बीजेपी में यह काम चल पड़ा है । जबकि विपक्ष अब तक डॉट इंडिया का संयोजक भी नहीं ढूंढ पाया । प्रत्याशी कब ढूंढेगा , सीट बंटवारा कब होगा , यह तो गठबंधन जाने । हमें इतना पता है राम मंदिर का निर्माण राजनीति का भविष्य तय करने वाला है ।
