तीन आपराधिक बिलों का संसद से पास होना ऐतिहासिक रहा : प्रह्लाद जोशी
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंच प्रण में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति देने का आह्वान किया था। उसके अनुसार भारत में क्रिमिनल जस्टिस में बदलाव कर भारतीयता के आधार पर भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 को संसद से पारित किया गया।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता बुलाई। इस दौरान उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में हुई कार्यवाही का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि गुरुवार को संसद के शीतकालीन सत्र का समापन हो गया। केंद्रीय मंत्री ने बताया इस दौरान तीन आपराधिक बिलों का संसद से पास होना ऐतिहासिक रहा। इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में बहुत बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा अनुच्छेद 370 से लेकर न्यू क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम तक जो कुछ भी इन पांच साल में हुआ है वो ऐतिहासिक है।
गुलामी की मानसिकता से मुक्ति देने का पीएम मोदी ने किया आह्वान
आगे जोड़ते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंच प्रण में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति देने का आह्वान किया था। उसके अनुसार भारत में क्रिमिनल जस्टिस में बदलाव कर भारतीयता के आधार पर भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 को संसद से पारित किया गया।
ब्रिटिश युग के कानूनों को किया खत्म
उन्होंने कहा हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार पर पहले से जो हमारी विरासत थी उसके आधार पर और आधुनिकता को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश युग के कानूनों को खत्म किया गया है। उन्होंने कहा आने वाले 100 वर्षों में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखा गया है।
इस शीतकालीन सत्र में कई अहम बिल किए पास
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया 4 दिसंबर 2023 से संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई थी जिसका समापन गुरुवार 21 दिसंबर 2023 को हो गया। इस दौरान 18 दिनों में 14 बैठकें हुईं। लोकसभा में कुल 12 विधेयक पेश किए गए और 18 विधेयक पारित हुए जबकि राज्यसभा में कुल 17 विधेयक पारित हुए। दोनों सदनों में मिलाकर कुल 19 विधेयक पारित हुए हैं।
विपक्ष ने बिना किसी कारण के सदन में की बाधा उत्पन्न
इसके अलावा उन्होंने संसद सुरक्षा चूक के मुद्दे को लेकर कहा दर्शक दीर्घा में कूदने वाली जैसी घटनाएं पहले भी घट चुकी हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष को सरकार का सहयोग करना चाहिए था लेकिन इस पर विपक्ष ने जानबूझकर सदन में बाधा उत्पन्न की। विपक्ष हार का बदला लेने के लिए इस तरह की हरकतें कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, संसद सुरक्षा चूक की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का अपमान किया गया। पीएम मोदी के बारे में अनगिनत कटु शब्द बोले गए हैं।
इस सत्र में हुई लोकसभा की कार्यवाही की जानकारी
लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा के इस सत्र की जानकारी देते हुए गुरुवार को अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि 4 दिसंबर को प्रारंभ हुए 17वीं लोकसभा के 14वें सत्र में 14 बैठकें हुई और 61.50 घंटे काम हुआ। सत्र की उत्पादकता 74 प्रतिशत रही। इस दौरान कुल 12 विधेयक पेश किए गए और 18 विधेयक पारित किए गए। प्रमुख विधेयक भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023; भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023; दूरसंचार विधेयक, 2023; वस्तु एवं सेवाकर (संशोधन), 2023 और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 है।
लोकसभा के इस सत्र में 55 तारांकित प्रश्न पूछे गए। 377 के तहत 265 मामले उठाए गए और शून्यकाल में 182 विषय उठाए गए। स्थाई समित के 35 प्रतिवेदन रखे गए। 33 वक्तव्य दिए गए। इस दौरान 18 दिसंबर को श्रीलंका का संसदीय प्रतिनिधिमंडल दर्शक दीर्घा में उपस्थित रहा।
राज्यसभा की कार्यवाही
राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को आपराधिक न्याय प्रक्रिया से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने स्थगन की घोषणा करते हुए कहा कि एक राजनीतिक रणनीति के रूप में व्यवधानों और गड़बड़ी को हथियार बनाना किसी भी अन्य राजनीतिक विचारों से ऊपर लोगों के हित को ध्यान में रखने के हमारे संवैधानिक दायित्व से मेल नहीं खाता है। टाले जा सकने वाले व्यवधानों के कारण लगभग 22 घंटे बर्बाद हो गए जिससे राज्यसभा की कुल उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जो अंततः 79 प्रतिशत रही।
उन्होंने बताया कि इस दौरान जम्मू-कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण पथप्रदर्शक विधेयक, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, डाकघर विधेयक, दूरसंचार विधेयक और तीन विधेयक अर्थात् भारतीय साक्ष्य विधेयक, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता सहित कुल 17 विधेयक पारित किए गए। इन तीन विधेयकों ने आपराधिक न्यायशास्त्र की औपनिवेशिक विरासत को हटा दिया, जो इस देश के नागरिकों के लिए हानिकारक थी और विदेशी शासकों का पक्ष लेती थी। उच्च सदन के सभापति ने कहा कि अब पिछली बार की तरह हमने यह सुनिश्चित किया है कि हमारी सम्मानित महिला सदस्य उप सभापति के पैनल और सदन की मेज के पचास प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करना जारी रखेंगी। उन्होंने बताया कि हम 14 बैठकों के दौरान 65 घंटों तक कामकाज करने में सक्षम रहे और सत्ता पक्ष और विपक्ष के 2300 से अधिक प्रश्नों को संबोधित किया। इस दौरान 4300 से अधिक पत्र सभा पटल पर रखे गए।