कबीरपंथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छत्तीसगढ़ के कबीरपंथी मतदाता वोटों की सौगात देंगे.. सभी समाजों सहित पिछड़े वर्गों का मिल रहा अपार समर्थन…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर प्रदेश भाजपा चुनाव लड़ रही है और यही कारण है कि अब तक वे 7 बार प्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं।

इसमें कोई दो मत की बात नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशैली को देखकर राष्ट्रीय स्तर पर सभी वर्गों, समाजों का भरपूर सहयोग भाजपा को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ के मतदाताओं का मन भी इससे अलग नहीं है।

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अब बात करें प्रदेश के ओबीसी मतदाताओं की तो इस विधानसभा चुनाव में अन्य सभी समाज के लोगों के साथ ही ओबीसी मतदाताओं का रुझान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भाजपा की कार्यशैली को लेकर दिन दुगुना रात चौगुना की शैली में लगातार ग्राफ बढ़ा है।

…लेकिन 17 नवंबर को होने वाले मतदान में कबीरपंथ को मानने वाले मतदाताओं का रुझान आश्चर्यजनक रूप से भाजपा के पक्ष में देखने को मिले तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। इसका कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कबीरपंथी होना भी हो सकता है!

कैसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कबीरपंथी हैं,  यह उन्हीं के शब्दों में 18 जून 2022 को अपनी मां के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर लिखे गए ब्लॉग से स्पष्ट हो जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने  साल 18 जून, 2022 को अपनी मां के 100वें साल में प्रवेश करने पर  एक भावनात्मक ब्लॉग लिखा था। उन्होंने अपनी मां के साथ बिताए हुए कुछ पलों को याद किया। उन्होंने उनको बड़ा करने के दौरान मां द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया और अपनी मां की विभिन्न खूबियों का उल्लेख किया जिससे उनके मस्तिष्क, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को स्वरूप मिला।

इसी ब्लॉग में उन्होंने अपनी मां के कबीरपंथी होने का उल्लेख करते हुए लिखा था – “ईश्वर पर मां की अगाथ आस्था है, वो शुरु से कबीरपंथी रही हैं और आज भी उसी परंपरा से अपना पूजा-पाठ करती हैं। हां, माला जपने की आदत सी पड़ गई है उन्हें। दिन भर भजन और माला जपना इतना ज्यादा हो जाता है कि नींद भी भूल जाती हैं। घर के लोगों को माला छिपानी पड़ती है, तब जाकर वो सोती हैं, उन्हें नींद आती है।”

मां के सांस्कृतिक विचारों का संतान पर गहराई से पर प्रभाव पड़ता है और यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी किसी न किसी रूप में कबीरपंथ का अनुशरण करते हैं।

ईश्वर पर अगाध श्रद्धा रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कबीर पंथ के प्रति कितनी आस्था रखते हैं, यह कुछ बातों से स्पष्ट हो जाता है जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह थे तब प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर रायपुर के कबीरपंथी धर्मगुरु प्रकाश मुनि साहेब से मिलकर उन्होंने उनसे आशीर्वाद लिया था।


संत कबीरदास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद श्रद्धा से मानते हैं, जो उनके इस ट्वीट से सहज ही प्रकट हो जाता है।

राज्य में कबीरपंथी बड़ी संख्या में है और छत्तीसगढ़ में कई कबीरपंथी आश्रम हैं लेकिन दामाखेड़ा के कबीर आश्रम को सबसे प्रमुख माना जाता है। यहीं से सभी आश्रमों की गतिविधियां संचालित होती हैं और यहां दुनियाभर से कबीरपंथी आते हैं।

छत्तीसगढ़ में साहू, कुर्मी, मरार, यादव, सतनामी, पनिका समाज में कबीर पंथ का व्यापक प्रभाव है। इसके साथ ही राजपूत परिवार की बड़ी संख्या में कबीरपंथ से जुड़े हुए हैं। बौद्ध और जैन समेत कई अन्य धर्मों के लोग भी कबीरपंथ का अनुशरण करते हैं।

कबीरपंथ की अन्य शाखाओं की तुलना में छत्तीसगढ़ी  में शाखा सबसे ज्यादा फैली हुई है और इसे मानने वाले भी सबसे ज्यादा है। अब चूंकि प्रधानमंत्री मोदी का पारिवारिक वातावरण कबीरपंथी रहा है, ऐसे में कबीरपंथियों के साथ ही ओबीसी मतदाओं का के वोटों का रुझान भाजपा के पक्ष में जुड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ के फैलाव का श्रेय धनी धर्मदास जी उर्फ़ जुड़ावन साहू को है जो बांधवगढ़ के समृद्ध व्यापारी मनमहेश साहू एवं सुधर्मावती के पुत्र थे। धर्मदास नीमावत वैष्णव पंथ के अनुयायी थे उन्होंने अपनी सारी संपत्ति कबीरपंथ के प्रचार में लगा दी।

-चित्र इंटरनेट से साभार।

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