NRI अमित सिंघल : तात्कालिक उपलब्धियों का श्रेय तात्कालिक नेतृत्व को या…

जॉर्ज बुश सीनियर वर्ष 1989-1992 के समय रिपब्लिकन पार्टी से अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उनके प्रशासन में कोल्ड वॉर समाप्त हो गयी थी; कम्युनिस्ट सोवियत यूनियन छिन्न-भिन्न हो गया था; कुवैत से इराक के अतिक्रमण को समाप्त कर सद्दाम हुसैन को हरा दिया था।

अपने ग्रुप्स में शेयर कीजिए।

फिर जॉर्ज बुश सीनियर के पुत्र जॉर्ज बुश जूनियर वर्ष 2001-2008 के समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे। सद्दाम हुसैन को अरेस्ट कर लिया।

डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति ओबामा फिर सत्ता में आए। ओबामा ने पाकिस्तान के अंदर ओसामा को मरवा दिया; अल-क़ाएदा को ध्वस्त कर दिया।

लेकिन एक बार भी बुश जूनियर ने नहीं कहा कि मेरे पिता जी ने सद्दाम हुसैन को हरा दिया था तथा बुश जूनियर ने सद्दाम को अरेस्ट करवाया था जिसके कारण ओबामा ने ओसामा को मरवा दिया।

बिल क्लिंटन वर्ष 1993 से 2000 तक अमेरिकी राष्ट्रपति थे। इजराइल-फिलिस्तीन के मध्य ओस्लो समझौता करवाया जिसने अभी भी उस क्षेत्र में यथास्थिति बनाये रखने में मदद की है। फिर हिलेरी क्लिंटन ओबामा प्रशासन में विदेश मंत्री हुई। इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर कई बार मध्यस्थता करवाई; ओस्लो समझौते का रेफेरेंस दिया। लेकिन एक बार भी नहीं कहा कि ओस्लो समझौता उनके पति ने करवाया था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदो को ले लीजिए। आप को पता भी ना हो कि उनके पिता पियेर त्रुदो 15 वर्ष से अधिक समय तक कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके थे। कारण यह है कि जस्टिन कभी नहीं कहते कि मेरे पिता ने ऐसा तीर मारा था, वैसा तीर मारा था।

ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे जब एक ही परिवार के सदस्य किसी लोकतान्त्रिक राष्ट्र के सर्वोच्च पदों पर बैठते है। लेकिन समकालिक उपलब्धियों के लिए उस समय के नेतृत्व को क्रेडिट देते है या चुप रहते है।

इसके विपरीत, तानाशाह राष्ट्रों में राजवंश के संस्थापक को हर कार्य के लिए क्रेडिट दिया जाएगा, भले ही वह गतिविधि उस संस्थापक के समय नहीं हुई थी। ऐसे कई उदाहरण खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका एवं पूर्व एशिया के देशो में मिल जाएगा।

स्वतंत्र भारत में भी एक वंश का शासन कई वर्षो तक रहा था। वह वंश नए भारत की किसी भी उपलब्धि के लिए वंश के संस्थापक को बेशर्मी से क्रेडिट दे देता है। उस राजवंश के लिए आज के भारत के युवा-युवती, आज के नेतृत्व के परिश्रम एवं दूरदृष्टि का कोई महत्त्व नहीं है।

तभी प्रधानमंत्री मोदी ने लोक सभा में 10 अगस्त को कहा था कि अविश्‍वास और घमंड इनकी रगों में रच-बस गया है। ये जनता के विश्वास को कभी देख नहीं पाते हैं। ये वो लोग हैं, जिन्‍हें देश के सामर्थ्‍य पर विश्‍वास नहीं। इन लोगों को देश के परिश्रम पर विश्‍वास नहीं है, देश के पराक्रम पर विश्‍वास नहीं है। अब ये जो शुतुरमुर्ग एप्रोच है, इसके लिए तो देश क्या कर सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि एक जिम्‍मेदार विपक्ष सवाल पूछता अच्‍छा मोदी जी बताओ- कैसे करने वाले हो, आपका रोडमैप क्‍या है। लेकिन कांग्रेस की त्रासदी यह है कि उनकी कल्‍पना दारिद्रय है। इतने सालों तक सत्‍ता में रहने के बाद भी क्‍या अनुभवहीन बातें सुनने को मिल रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *