कौशल सिखौला : नाटक नहीं सीधी बात.. इसीलिए तो वे ओवैसी हैं ?

आइए , दशकों से चली आ रही छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाटकों के बीच आज सवेरे ही एक ऐसे व्यक्ति की बात करते हैं जो बात सीधी करता है , औरों की तरह नाटक नहीं करते ? वह आदमी हैं हर समय मीडिया और देश के राजनैतिक मानचित्र पर छाए रहने वाले हैदराबाद के ओवैसी ।

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एक बात तो है कि असउद्दीन ओवैसी आदमी खरे हैं । मुस्लिमों की राजनीति करते हैं , पर मुस्लिम उन्हें वोट नहीं देते । बात जब देश पर आए तो ओवैसी क्या चीन और क्या पाकिस्तान दोनों पर सख़्त बयान देते हैं । विदेश की धरती पर जब भी उन्हें भारत के विरुद्ध भड़काने की कोशिश की गई , उन्होंने ऐसा करने वालों को फटकार लगाई ।

उन्होंने विदेशों में जाकर कभी भारत सरकार , हिंदू समाज या देश के विरुद्ध कोई एजेंडा नहीं चलाया । ना ही विदेशी टूल किट्स के मोहरे बने । भले ही वे वन्देमातरम नहीं कहते पर जयहिंद बोलते हैं , हिंदुस्तान की बात करते हैं , भारत के संविधान के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त करते हैं । लोकसभा में उनके दो सांसद हैं , राज्यों में कुछ विधायक हैं और वे राष्ट्रीय राजनीति में मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा नाम हैं ।

देश के टॉप मीडिया को जब भी मुस्लिम समस्या के संबंध में किसी नेता के बयान की जरूरत पड़ती है , तब केवल ओवैसी ही मोर्चा संभालते हैं । मोदी के विरुद्ध भी उतना ही बोलते हैं जितना सोनिया के । कल जब उनसे इंडिया गठबंधन में शामिल होने की बाबत मीडिया द्वारा पूछा गया तो बोले कि उन्होंने कहा कि किसी पागल कुत्ते ने उन्हें नहीं काटा जो कांग्रेस के साथ जाएं ।

कांग्रेस द्वारा ओवैसी पर भाजपा की बी टीम होने के आरोप लगते रहे हैं । मजे की बात यह है इस बाबत जब ओवैसी से पूछा जाता है तो वे मुस्कुराते हैं । कहते हैं कि ये आरोप कांग्रेस लगाती है अखिलेश और नीतीश लगाते हैं , जिन्हें उनके कारण वोट कटने का खतरा है । ओवैसी ऐसे समय भाजपा को भी कोसने लगते हैं । बावजूद इसके आज का पूरा विपक्ष उनसे चिढ़ता है ।

आप कहेंगे कि हम ओवैसी की बात क्यूं करने लगे ? देखिए हमने ऐसे ऐसे छद्म धर्मनिरपेक्ष देखे हैं जो अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलवाते हैं और जिनके फरजंद काशी विश्वनाथ जाकर जलाभिषेक करते हैं ? हमने ऐसे धर्मनिरपेक्ष देखे हैं जो 75 सालों से हिंदू मुस्लिम की राजनीति करते हैं पर कुर्ते पर जनेऊ पहनकर मंदिर जाते हैं ?

ऐसे धर्मनिरपेक्ष , जो अन्ना जैसे महात्मा के पेट में छुरा घोंपकर अयोध्या में माथे टेकने पहुंच जाते हैं ? ऐसे नादान धर्म निरपेक्ष जो कहते हैं कि बाबरी मस्जिद हमने तोडी , हम ही हिंदू हृदय सम्राट हैं , सत्ता के लिए कांग्रेस और एनसीपी की गोद में जा बैठते हैं । सत्ता पाने के लिए किस किस को गिनाएं ! हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामें गुलिस्तां सामां है । इसीलिए हम ऐसे छद्म नेताओं से बेहतर ओवैसी को मानते हैं । वे जो हैं कम से कम वे हैं तो ?

तो इसलिए कर रहे हैं ओवैसी की बात ! वे मुस्लिमों की बात करते हैं और अपने ही देश की बात करते हैं । वे संकटकाल में दुश्मन के दूतावास जाकर भारत की चुनिंदा सरकार को ठेंगा नहीं दिखाते ? वे ओलंपिक देखने जाने के बहाने चीन जाकर अपनी फाउंडेशन के लिए एमओयू साइन नहीं करते ? वे आजम खां की तरह भारत माता डायन नहीं कहते ?वे देश की सरकार को राष्ट्रद्रोही नहीं बताते , भारत माता की हत्या करने जैसे घृणित शब्द नहीं बोलते । ऐसे सभी बड़े लोगों से ओवैसी अच्छे हैं । वे बैरिस्टर हैं , उनकी बिरादरी उन्हें वोट नहीं देती । परंतु वे जो हैं सो हैं । वे छद्म धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं । इसीलिए तो वे ओवैसी हैं ?

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