घटनाओं का पूर्वाभास कराती है प्रकृति..कैद में पड़े श्राप देते पंछी,कछुए, मछलियों से वास्तु शुभ नही होता बल्कि जेलयात्रा होती है
इस संबंध में टीना दुबे जी का 2 मिनट का vdo जरूर नीचे लिंक में देंखें..
★हमारे साथ होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास प्रकृति विभिन्न माध्यमों से संकेत देकर पूर्व में ही करा देती है एक घटना हुई थी जब मेरे बाबूजी के देहांत के 15 दिन पूर्व मेरे घर के सामने लगे आम के पेड़ का दायां भाग अपने आप टूट कर गिरा था और इसके बाद जब अम्मा का देहांत हुआ था उस दिन केे एक रोज पहले रात को करीब 10:00 बजे उसी आम के पेड़ का दूसरा एक बड़ा भाग बिना किसी आंधी तूफान हवा पानी के सामान्य परिस्थितियों में टूटकर गिरा।
★7-8 दिन पूर्व मेरे घर के आंगन में लगे एक अन्य आम के पेड़ का एक काफी बड़ा हिस्सा अपने आप टूट कर गिरा और उसी वक्त मुझे आभास हो गया था कि फिर किसी परिवार के सदस्य के साथ कोई अनहोनी होने वाली है। इस घटना की चर्चा मैंने मेरे मित्र, भाई ,मार्गदर्शक astro nishant जी से की थी तब उन्होंने भी यही आशंका जताई थी और आज सुबह लगभग 23 वर्ष से मेरे घर में अपनी आवाज से सबको सचेत करने वाले मिट्ठू भोला का स्वर्गवास हो गया।
★आम के पेड़ को हमारे शास्त्रों में वंश का प्रतीक माना जाता है। बाबूजी स्वर्गवास के समय दाएं भाग और अम्मा के देहांत के समय बायां भाग टूट कर गिरना इस बात का संकेत था कि एक वंश का समय पूरा हो गया। शास्त्रों में पुरुष को दायां स्थान दिया गया है व प्रत्येक संस्कार में स्त्रियों को बाई और बिठाया जाता है।
■इस तरह संकेत देने वाली कई घटनाएं मेरे जीवन में प्रकृति द्वारा घटित हुई है।
■अब सारी बातों के बीच मुख्य बात यह है कि इंसान चाहे तो सूरज पर पहुंच जाए,बड़ी बड़ी मशीन बना दे लेकिन एक नन्ही सी चींटी जैसा जीव कभी नहीं बना सकता।
■नन्ही सी चींटी जिसकी नाक है,वह सांस लेती है,उसका फेफड़ा है, उसका पेट है,कोख भी है जो बच्चे पैदा करती है, नन्हें-नन्हें हाथ और पैर हैं कहने का मतलब यह कि एक नन्ही चींटी में उतने ही अंग है जितने आपके हमारे शरीर में हैं। उस नन्ही सी चींटी को कैद करने की अधिकारिता हमें प्रकृति ने नहीं दी है।
■जीवन में जो लोग पंछियों को मछलियों को पशुओं को कैद करके रखते हैं वे किसी न किसी रूप में जीवन का एक लंबा सा बिस्तर पर पड़े पड़े गुजारते हैं या निश्चित तौर पर जेल की यात्रा करते हैं।
■मेरे नाना अच्छे ज्योतिष और वैद्य थे। अम्मा के द्वारा तोता पाले जाने का उन्होंने विरोध किया था और तोता पालने के परिणाम स्वरूप 9 महीने कोमा की स्थिति में रहने के बाद अम्मा का स्वर्गवास हुआ था। कैद में रहने वाले मछली पंछी या जो निरीह जीव हैं वे अपनी भाषा में कैद करने के लिए श्राप देते हैं जिसे हम उनका गान समझ बैठते हैं।
■पिछले साल की बात है जब मौसाजी 3 वर्ष से लकवे के कारण पीड़ित चल रहे थे।एक दिन हॉस्पिटल में विकास ने बातों-बातों में बताया कि घर मे कछुआ है।तब मैंने समझाया कि “..कछुए प्रजनन के लिए एक सागर से दूसरे सागर जाते हैं और उन्हें टब में कैद करना उचित नहीं।कछुए को तालाब में छोड़ दो,सब शुभ होगा,शांति मिलेगी..” विकास ने बात मानी और दूसरे दिन लंबे अरसे से पीड़ित मौसाजी मोक्ष पा गए।
★यजुर्वेद के 40/7 मन्त्र ‘यस्मिनित्सर्वाणी भूतान्यात्मैवाभूद् विजानतः। तत्र को मोहः कः शोकः एकत्वमनुपश्यतः।।’ में कहा गया है कि जो व्यक्ति सम्पूर्ण प्राणियों को केवल अपने जैसी आत्माओं के रूप में ही देखता है (स्त्री, पुरुष, बच्चे, गौ, हरिण, मोर, चीते तथा सांप आदि के रूप में नहीं) उसे उनको देखने पर मोह अथवा शोक (ग्लानि वा घृणा) नहीं होता, क्योंकि उन सब प्राणियों के साथ वह एकत्व (समानता तथा साम्यता) का अनुभव करता है।
★इस मन्त्र में यह संदेश दिया गया है कि मनुष्य को सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान व रूप में ही देखना चाहिये और आप तो किसी की कैद में जीवन नही गुजारना चाहते, फिर निरीह-मूक जीवों को क्यों कैद में रखने की हल्की सोच रखते हैं? अगर सेवा का मन है तो पेड़ों, घर की छतों पर मूंगफली, बिस्किट, अनाज, पानी गिलहरियों, पंछियों के लिए डालिए लेकिन अपने मन की तुष्टि वास्तु की आड़ लेकर इन्हें कैद मत कीजिए।
★निरीह-मूक जीवोँ की सेवा कीजिए, मेरा दावा है कि आप अपने साथ घटने वाली घटना का पूर्वाभास आपको होने लगेगा और विपरीत परिस्थितियों में स्वतः मदद मिलने लगेगी।