नदियों के विकास और प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एनएमसीजी के प्रयासों की सराहना
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की वेबिनार श्रृंखला ‘इग्नाइटिंग यंग माइंड्स: रिजुविनेटिंग रिवर्स’ वैश्विक स्तर पर पहुंच गई है। इस वेबिनार श्रृंखला के 13वें संस्करण का नाम अब ‘इग्नाइटिंग यंग माइंड्स: ए ग्लोबल कैंपेन’ हो गया है। युवा जल संरक्षकों में से भविष्य की वैश्विक स्थिरता के नेतृत्व निर्माण के लिए भागीदारी का आह्वान करने के उद्देश्य के साथ एपीएसी न्यूज़ नेटवर्क के सहयोग से 8 जुलाई 2023 को इसका वर्चुअली आयोजन किया गया था। इस वेबिनार का विषय जल संरक्षण था। इस विशेष सत्र में स्थायी जल प्रबंधन और नदी विकास सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालयों के सहयोग और समुदाय की भागीदारी के साथ वर्षा जल संरक्षण के लिए तात्कालिक आवश्यकता के बारे में विचार-विमर्श किया गया।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने इस वेबिनार की अध्यक्षता की। इस सत्र के पैनलिस्टों में श्री बी.एस. यादव, चांसलर, आईईएस यूनिवर्सिटी, डॉ. नारायण शेनॉय एस, वाइस चांसलर, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, डॉ. नीना सिंह जुत्शी, प्रोफेसर और डीन एकेडमिक्स, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन तथा श्री अर्पण स्टीफन, बहरीन ई-लर्निंग विशेषज्ञ, अरेबियन गल्फ यूनिवर्सिटी शामिल थे।
अपने मुख्य भाषण में एनएमसीजी के महानिदेशक ने जल संरक्षण और नदी विकास के बारे में गहन प्रयास किए जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जल संसाधनों की स्थिरता और उनके प्रति सम्मान सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक आंदोलन और नागरिक जिम्मेदारी का आह्वान करते हुए जन भागीदारी की अनिवार्य भूमिका के बारे में जानकारी दी। उन्होंने देश में वर्षा के दौरान स्थानिक और सामयिक परिवर्तन का उपयोग करने के लिए जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के बारे में जोर दिया। नमामि गंगे का दायरा गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों तक फैला हुआ है और गंगा बेसिन में किए गए कार्यों का प्रभाव पानी की गुणवत्ता और जैव विविधता में हुए महत्वपूर्ण सुधारों के रूप में सामने आया है, जिसका उदाहरण गंगा डॉल्फ़िन, ऊदबिलाव जैसी जलीय प्रजातियों की लगातार बढ़ती संख्या है। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा एनएमसीजी के प्रयासों को मान्यता देने से जल संरक्षण के लिए इस मिशन की विशिष्ट स्थिति और प्रतिबद्धता और अधिक मजबूत हुई है। अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों से प्राप्त हुई सकारात्मक मान्यता नमामि गंगे के प्रभाव को रेखांकित करती है। वर्ष 2019 के कुंभ मेले में 20 करोड़ से अधिक लोगों की भागीदारी, देश में नदी विकास के प्रयासों के बारे में जनता की जागरूकता और भागीदारी की प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि 5 आर – कम (रिड्यूस), पुन: उपयोग (रि-यूज़), रीसायकल, रिचार्ज और सम्मान (रिस्पेक्ट) की विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में जल की कमी से निपटने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। एशिया क्षेत्र में जल उपयोग की दक्षता एक प्राथमिक चिंता बनी हुई है। उन्होंने किसानों द्वारा भूजल के बहुत अधिक उपयोग किए जाने के बारे में प्रकाश डाला और कहा कि ऐसे उपयोग के लिए पंपिंग करना आवश्यक है, जिसमें न केवल महत्वपूर्ण ऊर्जा की आवश्यकता होती है, बल्कि अधिक कुशल सिंचाई विधियों की भी जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि पानी की बचत को जीवन के सभी पहलुओं में शामिल की जानी चाहिए, इसके अलावा पानी के पुन: उपयोग को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और सब्जियों, फलों और पौधों को धोने के लिए आरओ सिस्टम से निकले बेकार पानी का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) से उपचारित पानी का उपयोग भी सिंचाई और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इससे अन्य स्रोतों से पानी की निकासी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पानी की सर्कुलर अर्थव्यवस्था को अपनाकर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है। पानी की पुनर्प्राप्ति और उसके पुन: उपयोग से, विश्व स्थायी जल प्रबंधन हासिल कर सकता है।
आईईएस विश्वविद्यालय के चांसलर श्री बी.एस. यादव ने देश की जीवन रेखा गंगा नदी की भूमिका के बारे में बात की और उन्होंने जल संसाधनों के उचित उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने स्वच्छ जल की आवश्यकता से निपटने में एक उल्लेखनीय पहल के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए जल जीवन मिशन की भी सराहना की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए उन्नत भारत अभियान के बारे में बताया, जिसके तहत आस-पास के 10 गांवों को सामुदायिक विकास के लिए अपनाया जाता है।
श्री यादव ने इन पहलों का समर्थन करने के लिए अपना उत्साह और तत्परता जाहिर की और जल को एक बुनियादी आवश्यकता के रूप में स्वीकार करते हुए स्वच्छ जल प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक खर्च किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने नदियों के विकास और प्रदूषण को समाप्त करने के लिए विश्व के सबसे बड़े अभियान और जागरूकता पैदा करने में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के प्रयासों की सराहना की।
डॉ. नारायण शेनॉय एस ने जल संरक्षण और नदियों के विकास की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए और आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में नदियों का घनत्व अधिक है और यहां पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है। डॉ. शेनॉय ने कहा कि गंगा नदी देश के 11 राज्यों से होकर बहती है और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी और 40 प्रतिशत कृषि भूमि को कवर करती है। डॉ. शेनॉय ने कहा कि मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन सक्रिय रूप से नदी के विकास के प्रयासों में सक्रिय रूप से कार्यरत है और उसमें स्वर्ण परियोजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिसमें नदी को एक जीवन और प्राकृतिक संसाधन के रूप में देखा जाता है। इससे युवा पीढ़ी को समग्र दृष्टिकोण प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि छोटे से छोटा कदम भी जल संसाधनों की रक्षा करने और एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के बड़े उद्देश्य में अपना योगदान देकर महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा कर सकता है।
डॉ. नीना सिंह जुत्शी ने विश्वविद्यालय सम्पर्क कार्यक्रम में एनएमसीजी के साथ विश्वविद्यालय के सहयोग पर चर्चा की। जलवायु परिवर्तन की गंभीर वैश्विक चुनौती और समाज पर इसके पड़ने वाले तत्काल प्रभाव के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. जुत्शी ने एक जीवित इकाई के रूप में पानी के महत्व और इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने में युवाओं की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सहयोग का उद्देश्य जल संरक्षण सिद्धांतों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करना करना है, जिसमें स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग ऑन-कैंपस संरक्षण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन प्रभावशाली वीडियो के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के बारे में कार्य कर रहा है, जबकि स्कूल ऑफ फैशन स्थायी प्रथाओं को प्राथमिकता दे रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देने वाले प्रदर्शनों के माध्यम से छात्रों को प्रेरित करना है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सभी विषयों के पाठ्यक्रम डिजाइन में पानी से संबंधित मुद्दों का समाधान होना चाहिए और पानी की गंभीर समस्या के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी और एआई का लाभ उठाने के महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए।