शराब बड़ी या पेट्रोल?

कोरबा। ब्यूरो डेस्क। रमन सरकार ने3000 की आबादी तक के गांव में शराब की दुकानें न हीं खुलने की घोषणा की थी। शराबबंदी की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस ने घोषणा कर दी थी कि हम पूर्ण शराबबंदी सत्ता में आने पर लागू करेंगे।लॉक डाउन जैसे सुअवसर के बाद भी बघेल सरकार इस दिशा में निर्णय लेने का साहस नही कर सकी। फिलहाल ये तय है कि आगे भविष्य में ये मुद्दा फिर चुनाव के वक़्त सामने आएगा। एक तरीका है जिससे शराबबंदी की दिशा में कारगर कदम उठाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो सरकार को शराब से ज्यादा कमाई पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स से होती है। जानकारों की माने तो शराब की तुलना में पेट्रोल-डीजल पर अधिक वेट टैक्स लगता है।


राज्य सरकार चाहे तो पेट्रोल डीजल में टैक्स कम करके शराब पर टैक्स की दर बढ़ाकर सभी वर्गों को राहत दे सकती है। शराब की कीमत में इजाफा होने पर मदिरापान के प्रति भी लोगों का मोह भंग होगा और अधिक शराब पीने के चलते दुर्घटनाओं-अपराधों का ग्राफ भी जो छत्तीसगढ़ में निरंतर बढ़ा है, वह घटेगा। शराब पिये बगैर आदमी चार कदम भी चल सकता है लेकिन टंकी में पेट्रोलियम की एक बूंद न हो,तो गाड़ी एक इंचभी आगे नहीं सरकेगी। सो शराब बड़ी या पेट्रोल? किस पर किया जाए कंट्रोल?