सुरेंद्र किशोर : नया संसद भवन.. पैसों की मार बड़ी मार !!

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना में सिर्फ संसद भवन ही नहीं है बल्कि सरकारी दफ्तरों के लिए भवन भी बनाए गए हैं।
उन नये भवनों में वे सब कार्यालय अब स्थानांतरित किए जाएंगे जो अभी निजी मकानों में किराए पर है।
वे निजी मकान राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं के हैं।

अपने ग्रुप्स में साझा कीजिए।

एक अनुमान के अनुसार 1000 करोड़ रुपए उनको हर साल किराया के रूप में केंद्र सरकार देती रही है।
जब वे कार्यालय सेंट्रल विस्टा में स्थानातरित हो जाएंगे तो केंद्र सरकार के उतने रुपए हर साल बचेंगे।
उधर वे नेतागण 1000 करोड़ रुपए सालाना से वंचित हो जाएंगे।हालांकि उनके मकान के नए किरायेदार मिल जाएंगे।पर क्या वे इतना अधिक किराया देंगे ?
पैसों की मार बहुत बड़ी मार होती है।
उससे बड़ी पीड़ा होती हैं।
बौखलाहट होती है।मुंह से ‘गालियां’ निकलती हैं।
निकल भी रही हैं।
………………………………..
यह तो दूसरी मार है।
करीब आधे दर्जन राजनीतिक दलों के तीन दर्जन छोटे-बड़े नेताओं के खिलाफ भीषण भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के तहत पहले से ही मुकदमे चल रहे हैं।कई नेता जमानत पर हैं।
उनके बहुत सारे पैसे जब्त हो गए।
अदालतें भी उन्हें कोई राहत नहीं दे रही हैं।
सत्ता पास में नहीं है तो कमाई के रास्ते भी अब कम हैं।
आगे सत्ता मिलेगी या नहीं,इस बात में भी कई लोगों के संदेह है।ऊपर-ऊपर वे जो कहें !
क्योंकि गठबंधन की स्थिति अभी साफ नहीं है।शायद बाद में गठबंधन हो जाए।उसके बाद भी क्या सफलता मिलेगी ?
ऐसे में पीड़ित नेताओं की मनःस्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।
उन ‘‘पीड़ित प्राणियों’’ पर गुस्सा नहीं बल्कि दया ही की जा सकती है।

—/——

यह भी पढ़ें…
“नमामि हसदेव”-भाग-03 : बालको के दर्द से सिसकती मां की पाती छत्तीसगढ़ के लाल CM भूपेश बघेल के नाम.. कोरबा जिले में भेंट-मुलाकात  आज… http://veerchhattisgarh.in/?p=12829
……………
ये एक पुराना live vdo है जिसमें डेंगुर नाला में तेलयुक्त अथाह केमिकल छोड़कर नदी को बांझ करने के साथ ही शहरवासियों को किस प्रकार का विषैला पानी निगम के नल कनेक्शन के माध्यम से पिलाया जा रहा है, इस VDO को देखकर आप दहल जाएंगे कि भविष्य में जिन घरों में निगम के नल कनेक्शनों के माध्यम से पानी जा रहा है, उनका पूरा परिवार एक साथ किस प्रकार की गंभीर बीमारियों से जूझने वाला है।
यह संकट मात्र एक नदी का नहीं बल्कि पूरे शहर का संकट है।
रात के अंधेरे में और क्या-क्या इसमें अर्पित किया जाता होगा, यह पर्यावरण विभाग कोरबा को देखना चाहिए।
बुद्धिजीवियों से इस पर प्रतिक्रिया की अपेक्षा कोमा में जा रही जीवनदायिनी-जीवनधारा को है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *