सुरेंद्र किशोर : मीडिया की स्वतंत्रता का अर्थ.. जे.एन.यू. में ब्राह्मण निशाने पर क्यों…

मीडिया की स्वतंत्रता का अर्थ क्या है ?
   (मीडिया की) ‘‘स्वतंत्रता का मतलब है कि अगर सरकार ने कुछ गलत किया है तो आप कहेंगे कि यह गलत है।
 साथ ही, अगर सरकार कुछ अच्छा कर रही है तो आपके पास इसे अच्छा कहने का साहस होना चाहिए।’’
    — गौतम अदानी
(जिनके हाथों में अब एन.डी.टी.है)
   25 नवंबर, 22
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‘‘सुरेंद्र जी, आप इंदिरा (गांधी) जी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबर लाकर मुझे दीजिए, मैं उसे जरूर छापूंगा।
पर, इंदिरा जी में बहुत से गुण भी हैं।
मैं उन्हें भी छापूंगा।’’
    — राजेंद्र माथुर, प्रधान संपादक
       नवभारत टाइम्स
       सन 1983
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 कुछ लोग कह रहे हैं कि एन.डी.टी.वी.भी अब ‘‘गोदी मीडिया’’ की श्रेणी में आ गया।
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क्या कभी किसी ने कहा कि राजेंद्र माथुर तब के प्रधान मंत्री के बारे में जो राय रखते थे ,उस कारण वे ‘गोदी मीडिया’ के हिस्सा थे ?
किसी ने नहीं कहा।
दिवंगत माथुर साहब तथ्यपरक और पक्षपात रहित पत्रकारिता के सूत्र वाक्य मेरे सामने दुहरा रहे थे।
माथुर साहब का आज भी जितना सम्मान है,उतना कम ही पत्रकारों का है।
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अब मैं माथुर साहब से उस बातचीत का पूरा ब्योरा यहां दे दूं ,तभी  बात और स्पष्ट होगी।
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सन् 1983 के जून की बात है।
  मैं नई दिल्ली में ‘नवभारत टाइम्स’ के प्रधान संपादक राजेंद्र माथुर के ऑफ में बैठा हुआ था।
मैं ‘जनसत्ता’ ज्वाइन करने के अपने निर्णय के बाद माथुर साहब से मिलने गया था।
जबकि, माथुर साहब चाहते थे कि मैं ‘नवभारत टाइम्स’ ज्वाइन करूं।
उससे पहले मैं भी द्विविधा में था।
पर,प्रभाष जोशी से मुलाकात के बाद मेरी द्विविधा समाप्त हो गई थी।
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 मिलते ही माथुर साहब ने, जिन्हें हम रज्जू बाबू कहते थे, सवाल किया कि आपने हमारा अखबार ज्वाइन क्यों नहीं किया ?
 मैंने उनसे कहा कि आपका अखबार दब्बू है।
 वह इंदिरा गांधी के खिलाफ नहीं लिख सकता।
मेरी उसी बात पर उन्होंने कहा कि
 ‘‘ नहीं सुरेंद्र जी , यू आर मिस्टेकन।
मेरा अखबार दब्बू नहीं है।
 आप इंदिरा जी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबरें  लाकर मुझे दीजिए, मैं उसे जरूर छापूंगा।
पर, इंदिरा जी में बहुत से गुण भी हैं।
मैं उन्हें भी छापूंगा।’’
 उन्होंने यह भी कहा कि ‘एक बात समझ लीजिए।
मेरा अखबार अभियानी भी नहीं है।’’
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आज जे.एन.यू. में ब्राह्मण निशाने पर क्यों हैं ?
कभी सोचा है ?
दरअसल,मुगलों के समय युद्ध की सफलता का पैमाना यही था कि आपने कितने किलो जनेऊ इकट्ठे किए।
ब्राह्मण सनातन धर्म का वाहक था।
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सेंट फ्रांसिस जेवियर ने कहा था कि ब्राह्मण नहीं होते तो वह पूरे भारत को जल्द ईसाई बना देता।
  उसने कोशिश भी की लेकिन सफल न हुआ।
     —ब्रज मोहन सिंह,दैनिक जागरण,पटना
    13 दिसंबर 22
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ब्राह्मण नहीं होते तो हम पूरे
भारत को जल्द ही ईसाई बना देते
   —सेंट फ्रांसिस जेवियर
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पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कहा था कि आजादी की लड़ाई में उत्तर प्रदेश में सक्रिय सर्वाधिक संख्या में ब्राह्मण थे।
–पुस्तक ‘मंजिल से ज्यादा सफर’ से
पुस्तक लेखक- राम बहादुर राय

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