“भारत तेरे टुकड़े होंगे..”से लेकर ब्राम्हण-बनिया विरोध तक.. अन्य जातियों के लिए लिखा होता तो..ब्राह्मणों की सहिष्णुता प्रशंसनीय..CCTV का विरोध…
JNU में ब्राहमण विरोधी नहीं बल्कि हिंदू विरोधी नारे लग रहे है। ये सीधे हिंदू विरोध पर आ जाएंगे तो इनका भंडाफोड़ हो जाएगा, इसलिए टुकड़े-टुकड़े गैंग ब्राम्हण विरोध का एजेंडा सेट कर रहे हैं और बहुसंख्यक समाज को तोड़ने के लिए एक बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है। यह एक विडंबना ही है कि इनके नेता जो खुद हिंदू नहीं है वे मंच से हिंदू और हिंदुत्व को खुलकर गाली देते हैं और नीचे बैठे हिंदुओं की मजे लेकर बजाते और मूर्ख हिंदू मजे लेकर ताली बजाते हैं, वाह-वाह करते हैं। किसी और धर्म के विषय में बोलने का इनमें साहस नहीं है।
वामपंथी विचारधारा इसमें मुख्य भूमिका निभा रहा है। भिन्न-भिन्न धर्मों के 3 वामी साथ बैठे हो तो 2 लोग तो हिंदू धर्म की आलोचना खुलकर करेंगे लेकिन अपने बारे में कुछ नहीं बोलेंगे और वही पर बैठा 3रा मूर्ख वामी किस्म के हिंदू खुद ही अपने धर्म का मजाक उड़ाते हुए अपने को बुद्धजीवी साबित करने का प्रयास करतें हैं।
“जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय बीते कुछ अरसे में लगातार सुर्खियों में रहा है। कारण कभी अच्छे नहीं रहे। बुद्धिजीवी गढ़ने की टकसाल कहा जाने वाला यह विश्वविद्यालय आज ‘विवादों का केंद्र’ बन गया है। इसमें फिर कुछ ऐसा हुआ है जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है। इस बार भी मामला काफी गंभीर और चिंताजनक है। यह वही यूनिवर्सिटी है जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारों की गवाह रही है। जहां एक बार नहीं कई बार देश विरोधी नारे गूंजे हैं। अब यह विश्वविद्यालय धर्म और जाति के नाम पर जहर उगलने वालों का भी साक्षी बन गया है।”
वरिष्ठ पत्रकार अमित शुक्ला इस पर आगे लिखते हैं ” बात ‘टुकड़े-टुकड़े’ से लेकर ‘ब्राह्मण और बनियों’ को देश छोड़ने की धमकी देने तक पहुंच गई है। विश्वविद्यालय की दीवारें ब्राह्मण और बनिया विरोधी नारों से रंग दी गई हैं। ट्विटर पर तस्वीरें वायरल हैं। छात्रों का आरोप है कि कैंपस में नक्सली मानसिकता रखने वाले इसके पीछे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसे भारत तोड़ो की साजिश बताया है। वाम दलों ने बीजेपी पर नफरत की राजनीति फैलाने का आरोप लगाया है। लेकिन, एक सवाल जस का तस है। वह यह है कि जेएनयू की दीवारें धमकी भरे नारों से लाल हैं। आखिर इस भारत तोड़ो के पीछे कौन है? “
पंकज कुमार झा लिखते हैं “पहली बार गंभीर जातिवादी लेख..
आपने इस वाल पर दो विषयों से हमेशा परहेज देखा होगा। पहला – जातिवाद से संबंधित, क्योंकि मैं स्वयं ‘ब्राह्मण’ हूं, और दूसरा क्षेत्रवाद से संबंधित क्योंकि मैं स्वयं ‘परदेसिया’ हूं। इसलिए इन दोनों विषय पर लिखने से बचता हूं। खैर।
लेकिन मजाक में अवश्य एक-दो पोस्ट ऐसा किया है। अभी जब ब्राह्मण-बनिया भारत छोड़ो का आदेश आया है जेएनयू से, इससे हफ्ते भर पहले ही जेएनयू का एक इसी आशय का पुराना फोटो पेस्ट किया था। गर्व हुआ देख कर कि पोस्ट पर हँसने वाले अधिकतर लोग ब्राह्मण ही थे। सबने इसे हास्य के बतौर ही लिया। अब इसके बरक्स कल्पना कर लीजिए कि किसी ने मुसलमानों भारत छोड़ो या ईसाइयों भारत छोड़ो या अन्य जातियों के लिये ऐसा लिखा होता तो उन जातियों के लोग कैसी प्रतिक्रिया देते? क्या लगता है आपको?
मुझे लगता है कि ब्राह्मणों की इस सहिष्णुता की प्रशंसा होनी चाहिये। वे भले किसी भी विचारधारा या दल के रहे हों, पर उन्होंने उपहास ही किया इस फोटो का। यही सहिष्णुता और हास्यबोध हमेशा बामनों की पहचान होनी चाहिए।
गलत तो नहीं कह रहा न?
पुनश्च : हालांकि अन्य समाजों की एक स्वर से जैसी प्रतिक्रिया इस मामले में रही, वह भी उम्मीद जगाता है। वह भी वंदनीय है। …. भारत ये रहना चाहिये।”
जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज-1 और 2 के भवन की दीवारें गुरुवार को ब्राह्मण और बनिया समुदाय विरोधी नारों से लाल कर दी गईं। इनमें ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ की धमकी दी गई। ब्राह्मण और बनिया समुदाय के लोगों को निशाने पर लेते हुए चेताया गया कि उनके पीछे ब्रिगेड आ रही है। रक्तपात होगा। इस धमकी को गंभीरता से लिया गया है। लेना भी चाहिए। हाल में जिस तरह जेएनयू का रिकॉर्ड रहा है, उसे किसी भी तरह से अच्छा नहीं कहा जा सकता है। यह राष्ट्र विरोधी और नफरत फैलाने वाली गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। आए दिन इस यूनिवर्सिटी में विवाद होते रहे हैं। मामला पुलिस तक पहुंच गया है। इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई गई है। जेएनयू के शिक्षक भी इस घटना से आहत हैं। यूनिवर्सिटी के शिक्षक संघ ने एक बयान में कहा कि इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनकर दुख हुआ। बयान के मुताबिक, ‘जेएनयूटीए इस अत्यंत निंदनीय कृत्य की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करता है। यह विविधता की भावना और सभी विचारों को जगह देने के जेएनयू के मूल लोकाचार का उल्लंघन करता है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एबीवीपी का आरोप है कि CCTV कैमरे के विरोध में जेएनयूएसयू और उनके समर्थक वामपंथी दल आ गए हैं। जेएनयूएसयू और वामपंथी दलों ने एक बार फिर से जेएनयू में सीसीटीवी कैमरे का विरोध शुरू कर दिया है।