ये बिलबिलाते हैं जब एक गरीब गुरबा मोची, झुग्गी झोपडी़ में रहनेवाला मजदूर और रिक्शे ठेले, खोमचेवाला दलित भी तिरंगा फहरातें हैं..

नरेंद्र मोदी सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ कैंपेन को न सिर्फ जबरदस्त सफलता मिली है बल्कि इकोनॉमी को बूस्टर डोज मिला है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने रविवार को बताया कि इस साल 30 करोड़ झंडे बिके हैं, जिससे 500 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है।
पिछले महीने गृह मंत्रालय ने फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 में कुछ संशोधन किए थे. इसके तहत पॉलिस्टर,मशीन से बने, हाथ से बने, मशीन या हाथ से बुने, कपास, ऊन, रेशमी खादी की गोखरू से झंडे का निर्माण किया जा सकता है। CAIT ने कहा कि संशोधन ने झंडों की आसान उपलब्धता में मदद की और अपने घरों या अन्य स्थानों पर तिरंगा बनाने वाले 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया. स्थानीय दर्जियों को भी बड़े पैमाने पर शामिल किया गया।
पिछले वर्षों में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगे की सालाना बिक्री लगभग 150-200 करोड़ रुपये तक सीमित थी। हालांकि, हर घर तिरंगा कैंपेन ने बिक्री को कई गुना बढ़ा दिया है।
** अमेरिकन लोगों की एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती है कि उनके यहां झंडे को लेकर कोई इलिटनेस नहीं है। वे कपड़ो पर, शादी पर , जन्मदिन पर अपने झंडे को प्रयोग करते है।
मोदी ने तिरंगे को एलीट अलमारी से निकालकर जनता तक ला दिया। ध्वज का काम राष्ट्र भावना को फैलाना होता है। यही उसका सम्मान भी है।
मोदी ने बता दिया कि आज हर शख्स स्वयं में Prime Minister and President है, स्वयं की छतों पर लहराते रहो।
-राकेश जॉन
** सबसे ज्यादा परेशानी तो वामपंथी का चोंगा ओढे दक्षिणपंथियों की है, जिनका नकाब इससे उतर जाता है, जब एक गरीब गुरबा मोची, झुग्गी झोपडी़ में रहनेवाला मजदूर और रिक्शे ठेले, खोमचेवाला दलित भी तिरंगा फहराता है तो ये बिलबिलाने लगते हैं।
और तिरंगा फहराने के लिए घर की मांग करते दीख जाते हैं।
-विजय किशोर
** दक्षिणपंथी नही यह कांग्रेसी एलिट मानसिकता के  लोग है। कांग्रेसी झंडे को कुछ लोगो तक सीमित रखना चाहते है। जिस तरह धर्म को कर्मकांड में बांधकर कुछ लोगों तक सीमित रखा गया था।
भक्ति आंदोलन ने धर्म को जन-जन का विषय बना दिया…चाहे जैसे भी कोई भी पूजा करें छूट है, इसी तरह मोदी जी ने तिरंगे झंडे को औपचारिकता कोड ऑफ कंडक्ट से आजादी दिला कर जन जन का ध्वज बना दिया।
-शिव कुमार

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