सुरेंद्र किशोर : कुत्ते को तीन मंजिले पर बैठा दो..वह कुत्ता ही रहेगा।’’.. दो शब्द पत्रकारिता पर.. ‘बर्बादी ब्रिगेड’ शिक्षा की आधी बर्बादी कर चुके…

एक पुरानी कहावत है–

‘‘बंगाल जो आज सोचता है,भारत उसे कल सोचेगा।’’

पार्थो चटर्जी आदि ने मिलकर बंगाल की स्कूली शिक्षा को तो बर्बाद कर ही दिया है।

क्या भारत के अन्य प्रदेशों के ‘बर्बादी ब्रिगेड’ भी कल यही काम करेंगे ?

भई, ऐसा मत करना।

वैसे पूरी बर्बादी का डर तो बना ही हुआ है।

क्योंकि कई अन्य प्रदेश भी शिक्षा की आधी बर्बादी तो पहले ही कर ही चुके हैं।

पूरा बर्बाद मत करना हे बर्बादी ब्रिगेड वाले !!!!

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कुत्ते तीन मंजिले पर

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बिहार के दिवंगत मुख्य मंत्री विनोदानंद झा ने कहा था कि

‘‘यदि कुत्ते को तीन मंजिले पर बैठा दोगे,फिर भी तो वह कुत्ता ही रहेगा।’’

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उन्होंने किसकी ओर इंगित करते हुए यह बात कही थी,यह नहीं पता।

इसलिए आप अपने अनुभव और जानकारी के आधार पर जिस पर चाहें ,यह कहावत आज चस्पा कर सकते हैं।

खुली छूट है।

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पत्रकारिता पर दो शब्द
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नब्बे के दशक में मैंने पटना के दैनिक अखबार ‘‘द इंडियन नेशन’’ में सिंगापुर डेटलाइन से बी.बी.सी. के उप प्रधान की एक महत्वपूर्ण टिप्पणी पढ़ी थी।
उनसे पूछा गया था कि बी.बी.सी. की साख का राज
क्या है ?
उन्होंने बताया कि
‘‘यदि दुनिया के किसी देश में कम्युनिज्म आ रहा है तो हम यह सूचना लोगों को देते हैं कि आ रहा है।
उसे रोकने की कोशिश नहीं करते।
दूसरी ओर, यदि किसी देश से कम्युनिज्म जा रहा है तो हम रिपोर्ट करते हैं कि जा रहा है।
हम उसे बचाने की भी कोशिश नहीं करते।
यही हमारी साख का राज है।’’
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आज का बी. बी. सी. नब्बे के दशक वाली अपनी नीति पर कायम है या नहीं, यह मुझे नहीं मालूम।
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पर, आज भी देश-विदेश का कोई भी साधन संपन्न मीडिया संगठन कड़ाई से इस नीति पर चल कर काम करे तो उसे लोकप्रिय होने में समय नहीं लगेगा।
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मेनचेस्टर गार्जियन के संपादक व ब्रिटिश
सांसद सी.पी.स्काॅट ने करीब सौ साल पहले कहा था कि
‘‘तथ्य पवित्र है, किंतु टिप्पणी के लिए आप स्वतंत्र हैं।’’
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सन 1983 में एक मुलाकात में नवभारत टाइम्स के प्रधान संपादक राजेंद्र माथुर ने एक खास संदर्भ में मुझसे कहा था,
‘‘ आप प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबर लाइए,मैं उसे छापूंगा।
किंतु इंदिरा गांधी में कई गुण भी हैं।मैं उन्हें भी छापूंगा।’’
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