सुरेंद्र किशोर : भाजपा का अब ‘वंश परपंरा मुक्त भारत’ का संदेश

भाजपा ने अब ‘‘वंश परंपरा मुक्त भारत’’ का संदेश दे दिया है।
यानी, वह भारत में ऐसी राजनीति के निर्माण पर जोर दे रही है जहां की राजनीति वंश
परंपरा पर आधारित नहीं हो।
इससे पहले भाजपा ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ पर पर जोर दिया था।
उस मामले में तो वह काफी हद तक सफल रही।
हालांकि ऐसे काम में उन दलों के भीतर के कुछ नेतागण अपनी गलत नीतियों के कारण अनजाने में भाजपा की ही मदद करते रहे हैं।
जैसे कांग्रेस के अवसान में दिग्विजय सिंह और मणिशंकर अय्यर की बड़ी भूमिका रही।
उसी तरह शिव सेना के अवसान में शरद पवार और संजय राउत ने अनजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य मंत्री शिन्दे को चाहिए कि वे इन दो नेताओं के घर जाकर उन्हें माला पहनाएं।
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कांग्रेस और शिव सेना के कमजोर होने से वंशवादी राजनीति
भी कमजोर हो रही है।
किंतु अभी देश में वंशवादी राजनीति के ऐसे कई गढ़ बरकरार हैं।
हालांकि आजमगढ़ और रामपुर लोक सभा उप चुनावांे के ताजा रिजल्ट वंशवादी सपा के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं।
आरोप है कि अपवादों को छोड़कर वंशवादी राजनीति के साथ दो -तीन अन्य गंभीर बुराइयां भी अनिवार्य रूप से जुड़ी हुई हैं।
जैसे-भीषण भ्रष्टाचार, घनघोर जातिवाद तथा राष्ट्रद्रोही संप्रदायवाद।
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1 जुलाई 22
इस लेख पर कुछ लोग लिखेंगे कि भाजपा में भी तो वेशवाद है।
उसका जवाब यह है कि ‘‘भाजपा में वंश हंै।
किंतु कांग्रेस आदि तो पूरी तरह वंश में ही समाहित हैं।’’
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घोड़ा,गधा या कुत्ता अपनी पूंछ को हिला सकता है।
किंतु इनकी पूंछें घोड़े,गधे और कुत्ते को नहीं हिला सकतीं।
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