मोदी जी इसे परोपकार नही मूर्खता कहते है…

मोदी जी आपका परिवार आपके निष्ठावान टैक्सपेयर तथा कृतज्ञ देशभक्त जनता है, शेष को हाथों से जल भरकर पिलाने की बजाए जलस्रोत का मार्ग बताइये वे खुद पी लेंगे.

किसी गाँव में एक परोपकारी सेठजी रहते थे परोपकारी इतने कि उनकी चौखट से कोई भी खाली हाथ वापिस नही लौटता समस्या कैसी भी हो वे सहायता अवश्य करते.

किन्तु एक दिन गांव में भीषण अकाल पड़ गया, सेठजी ने सहायता हेतु समस्त धन लुटा दिया, लेकिन भीषण अकाल की वजह से उन्हें भी गांव छोड़कर दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करना पड़ा.

सेठ जी अपने पत्नी बच्चों के साथ बचा खुचा खाने पीने का सामान लेकर चल दिये. रास्ते मे एक बड़ा रेगिस्तान गुजरा. चलते चलते सेठजी का सारा पीने का पानी समाप्त हो गया. प्यास से व्याकुल परिवार देखकर सेठजी ने ईश्वर से सहायता की प्रार्थना की.
कुछ ही देर में एक आदमी दूर से आता हुआ दिखाई दिया. उसने सेठजी को बताया समीप ही मीठे जल का स्त्रोत है. सेठजी परिवार को वही रुकने का कहकर तेजी से जलपात्र लेकर जलस्त्रोत की और दौड़ पड़े.

लेकिन जैसे ही वे जल भरकर लौट रहे थे मार्ग में एक प्यास से व्याकुल व्यक्ति दिखाई दिया, उसने सेठजी से जल मांगा. परोपकारी सेठजी उसे जल पिलाकर पुनः परिवार के लिए जल भरने जलस्रोत की और दौड़ पड़े. लेकिन जब वे लौटे तो वही घटना घटित हुई, सेठजी पुनः जल पिलाकर जलस्रोत की दौड़े.

ये घटना बार बार हुई औऱ हरबार सेठजी परोपकार करते रहे. अंततः कुछ समय पश्चात सेठजी जल लेकर परिवार के पास पहुंचे लेकिन जबतक प्यास से व्याकुल परिवार सेठ जी की प्रतीक्षा करते करते दम तोड़ चुका था. परिवार की हालत देख सेठजी ने भी रोते बिलखते दम तोड़ दिया.

कर्मानुसार सेठजी स्वर्ग पहुंचे किन्तु परिवार की दर्दनाक म्रत्यु पर वे रूष्ट होकर बोले:
प्रभु मैंने जीवनभर केवल परोपकार किया तब भी मुझे और मेरे परिवार को दुःखद म्रत्यु क्यों प्राप्त हुई ?

भगवान मुस्कुराते हुए बोले:
इसके लिए भी तुम्हारे ही कर्म जिम्मेदार है. तुम्हें क्या आवश्यकता थी सभी को अपने परिवार के लिए भरा गया जल पिलाने की. स्मरण करो जब तुमने मुझसे सहायता मांगी तो क्या मैंने तुम्हें जल भरकर पिलाया ? नही ना अपितु मैंने तुम्हें जलस्रोत का मार्ग बताया. यही कार्य तुम भी कर सकते थे जिससे सबकी सहायता हो जाती और तुम्हारा परिवार भी जल पीकर जीवित रहता.

तुमने जो किया उसे परोपकार नही मूर्खता कहते है.
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मोदी सरकार यूक्रेन से एयरफोर्स के लक्जरी विमानों में मुफ्त में भर भरकर स्टूडेंट्स ला रही है, उनके लिए चार चार बड़े मंत्री विदेश रवाना कर दिए गए, दो बार पुतिन से चर्चा की, सुरक्षित गलियारा बनवाया यहां तक उनकी अगवानी में एयरपोर्ट पर बुजुर्ग से लेकर महिला मंत्री तक हाथ जोड़कर स्वागत में लगा दिए.

लेकिन उसके फलस्वरूप मिला क्या ? अपमान ! इन्हीं छात्रों द्वारा निकृष्ट व्यवहार, देश के प्रति कृतघ्नता, जरा जरा सी बात पर गलतियां निकालकर सरकार को कोसना..

मोदी जी इसे परोपकार नही मूर्खता कहते है. आपका कार्य था एडवाइजरी देना जो आपने दी, आपका कार्य था फ्लाइट उपलब्ध करवाना जो आपने करवाई अपितु आपने एक कदम आगे बढ़कर मुफ्त सुविधा उपलब्ध करवाई लेकिन देश के मंत्रियों को हाथ जोड़कर खड़े करना जिनकी और ये एलीट भविष्य के डॉक्टर देख तक नही रहे, ऐसा करना बुद्धमत्ता कार्य बिल्कुल भी नही है.

मोदी जी आपका परिवार आपके निष्ठावान टैक्सपेयर तथा कृतज्ञ देशभक्त जनता है, शेष को हाथों से जल भरकर पिलाने की बजाए जलस्रोत का मार्ग बताइये वे खुद पी लेंगे.

साभार : गुहा स्वतंत्र

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