कुछ लोग व संगठन इस देश को बर्बाद कर देने पर अमादा क्यों हैं ? –सुरेंद्र किशोर–
इस देश के कई लोगों को क्या हो गया है ?
आखिर क्यों वे इस देश को पूरी तरह बर्बाद ही कर देना चाहते हैं ?
उससे उन्हें क्या मिलेगा ?
11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर जेहादी आतंकवादियों ने ओसामा बिन लादेन के इशारे पर हमला किया।
तत्पश्चात अमेरिका सहित अनेक देशों ने अपने देश के आतंक विरोधी कानूनों को कड़ा कर दिया।
तब की अटल बिहारी सरकार ने भी आतंकियों के खिलाफ कानून ‘पोटा’ बनाया।
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पर, 2004 में सत्ता में आने के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने पोटा को रद्द कर दिया।
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केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के
निर्णय के अनुसार यह तय कर दिया गया है कि राष्ट्रद्रोह की परिभाषा क्या है।किस तरह के अपराध को राष्ट्रद्रोह कहेंगे।
उसी के अनुसार इन दिनों राष्ट्रद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई होती रहती है।
पर उससे राष्ट्रद्रोहियों को अपनी गतिविधियां चलाने में दिक्कत आ रही है।
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इसलिए इस संबंध में आप इन दिनों अनेक नेताओं के बयान व तथाकथित बुद्धिजीवियों-पत्रकारों के लेख अखबारों में पढ़ रहे होंगे।
उनमें वे कहते-लिखते रहते हैं कि राष्ट्रद्रोह के कानून को ही खत्म कर देना चाहिए।
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इन दिनों ड्रग्स विरोधी कानून में लोग पकड़े जा रहे हैं।
अब हल्ला हो रहा है कि ड्रग्स विरोधी कानून को ही समाप्त कर देना चाहिए।
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इस देश के कई लोगों को क्या हो गया है ?
आखिर क्यों वे इस देश को पूरी तरह बर्बाद ही कर देना चाहते हैं ?
उससे उन्हें क्या मिलेगा ?
ऐसे में लौह पुरूष पटेल की कुछ अधिक ही याद आती है।
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31 अक्तूबर 21
