नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर होगा लालकिले का नाम…?

स्वतंत्रता दिवस से पूर्व लाल किले की प्राचीर से भाषण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से सुझाव मांगे थे। इससपर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री के नाम एक खुला पत्र लिखते हुए कहा है कि लालकिले से भाषण में भारत के सच्चे मुक्तिदाता सुभाष चंद्र बोस का उल्लेख करने का सुझाव दिया है। चंद्र कुमार बोस ने कुछ समय पूर्व ही लालकिले का नाम नेताजी फोर्ट रखे जाने की मांग भी की थी। समग्रता में इसे देखते हुए गलत नहीं कहा जा सकता है।
राजनीतिक प्रभुसत्ता के केंद्र के रूप में महत्व रखने वाले लालकिले का नाम नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर किया जाता है तो यह सही भी हो सकता है।
लालकिले से नेताजी सुभाषचंद्र बोस का गहरा नाता रहा है। नेताजी इस बात को अच्छी तरह से समझते थे  कि जितने भी देश में बाहरी आक्रमणकारी आये, उन सबकी सत्ता का केंद्र बिंदु दिल्ली का लालकिला था, यह मात्र किला नही बल्कि ताकत ,अस्मिता का भी प्रतीक था और यही कारण है कि आजाद हिंद फौज के सैनिकों को मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने के लिए उन्होंने ” दिल्ली चलो ” का नारा दिया था। राष्ट्रीय चेतना को एकीकृत स्वर प्रदान करने वाले आजाद हिंद फौज के सैनिकों पर मुकदमा भी लालकिला मुकदमा के नाम से प्रसिद्ध है।
चिट्ठी लिखकर आजादी मांगने की जगह नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंग्रेजी सत्ता को उनके समझने की भाषा में ललकारा। कहा जा सकता है कि उनके नाम पर लालकिले का नाम रखना उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी और करोड़ों देशवासियों की भावनाओं का सम्मान होगा।

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