केजरीवाल वादे पर फंसे..हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुखिया के वादे की गंभीरता और उसकी प्रकृति का जिक्र करते दिया यह आदेश
मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया आश्वासन या वादा वचन-बंधन के सिद्धांतों और वैध अपेक्षाओं दोनों के आधार पर है…
आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल जनता को अक्सर हर मौके पर वादे कर जनता को अपने पक्ष में करने का मौका नहीं चुकते हैं। उन्होंने एक के बाद एक जनता से कई वादे कोरोना काल में भी किए, लेकिन वादा पूरा नहीं कर पाए। कोरोनाकाल में अपनी एक बात को लेकर अब केजरीवाल बुरी तरह फंस गए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में केजरीवाल को किए गए वादे की याद दिलाकर फटकार लगाते हुए कोरोना महामारी के दौरान गरीब किराएदारों के किराया भुगतान करने के वादे को पूरा करने के लिए 6 सप्ताह के भीतर नीति बनाने का आदेश दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि आश्वासन दिया गया था कि सरकार किराए का भुगतान करेगी, चुनाव के दौरान का राजनीतिक वादा नहीं था। कोर्ट ने कहा कि यह आश्वासन एक राजनीतिक वादा नहीं है। यह चुनावी रैली में नहीं कहा गया था। यह मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया एक बयान है। इसलिए जनता से किया गया किसी मुख्यमंत्री का वादा स्पष्ट रूप से लागू करने योग्य होता है।
कोर्ट ने आगे एक प्रदेश के मुखिया के वादे की गंभीरता और उसकी प्रकृति का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया आश्वासन या वादा वचन-बंधन के सिद्धांतों और वैध अपेक्षाओं दोनों के आधार पर है, जिसे लागू करने पर सरकार द्वारा विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने आगे सलाह देते हुए कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि शासन करने वालों द्वारा जनता से किया गया वादा बिना किसी वैध और उचित कारणों के नहीं टूटना चाहिए।
कोर्ट द्वारा यह फैसला दिहाड़ी मजदूरों और श्रमिकों की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। गत वर्ष 29 मार्च को याचिका में केजरीवाल के उस वादे को लागू करवाने का अनुरोध किया गया था जिसमें एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मकान मालिकों से निवेदन किया गया था कि जो गरीब हैं, उनसे किराया अभी नहीं लें। इसके साथ ही यह भी वादा किया गया था कि अगर कोई भी किराएदार किराया नहीं चुका पाता है तो फिर सरकार उसका किराया चुकाएगी।अगर कोई सख्ती करेगा तो सरकार भी सख्त एक्शन लेगी।


