फुस्स होते किसान आंदोलन के बीच कृषि मंत्री तोमर बोले..
उधार की सुख सुविधाओं से कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों का मोहभंग हो गया है और आंदोलन का केंद्र बिंदु रहा सिंघु बॉर्डर अब खामोश मायूसी के आगोश में खो गया है। सिंघु बॉर्डर पर चारों ओर फैला सन्नाटा चीख चीख कर कह रहा है कि आंदोलन अब अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। इसका जीता जागता सबूत है सिंघु बार्डर पर लगातार घट रही प्रदर्शनकारियों व वाहनों की संख्या। सिंघु बॉर्डर पर अब 50 ट्रैक्टर और 500 प्रदर्शनकारी भी नहीं बचे हैं। एक दिन पहले यानी शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली की सीमा में 46 ट्रैक्टर ट्रॉली, 4 टेंपो, 5 ट्रक, 2 बस, 10 जीप व पांच कार ही खड़ी दिखाई दीं। बाकी के ट्रैक्टर अब सिंघु बॉर्डर को अलविदा कह पंजाब लौट गए हैं।
बताया जाता है कि किसान इतने ऊब गए हैं कि अगर मंच पर संबोधन पूर्व की ओर हो रहा होता है तो धरने पर बैठे लोग पश्चिम की ओर मुंह करके बैठे रहते हैं। आलम यह है कि यहां पर बैठे किसान ही अब कहने लगे हैं कि आंदोलन तो अब खत्म हो समझे, क्योंकि जब दो लोग अड़े जाएं तो क्या होता है… कुछ भी नहीं। किसान और केंद्र सरकार एक ही तरह का व्यवहार कर रहे हैं।
इसी के बीच भारत सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और किसान नेताओं से कहा है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। ऐसे में वो प्रदर्शन स्थल से महिलाओं और बच्चों को वापस भेज दें। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार तो लगातार बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसान नेताओं में ही आपसी सहमति नहीं बन पा रही है।उन्होंने कहा कि देश के कई किसान संगठन और अर्थशास्त्री कृषि बिल की तारीफ कर चुके हैं, वो कृषि कानूनों की वकालत कर रहे हैं. लेकिन कुछ किसान सिर्फ प्रदर्शन कर रहे हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर का बयान
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसान संगठनों के साथ 11 दौर की वार्ता की है। सरकार आगे भी बातचीत को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान संगठनों से कहा है कि वो किसान बिल के किन प्रावधानों से उन्हें दिक्कत है, ये बताएं. सरकार उसमें बदलाव करेगी. लेकिन किसान संगठनों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और इसकी कोई वजह भी नहीं बताई।
उन्होंने कहा कि हमने कानून के समस्याग्रस्त क्षेत्रों पर चर्चा करने और उनमें संशोधन करने की पेशकश की। किसान यूनियनों ने इस स्वीकार नहीं किया और कोई कारण भी नहीं बताया। जब सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं होती है या जब यूनियनों को अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो आंदोलन जारी रहता है। यहां यूनियनों ने इसे वैसे भी जारी रखने का फैसला किया है।
कोरोना की वजह से बुजुर्गों-बच्चों को घर भेजें किसान संगठन
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मैंने खुद कई बार किसान संगठनों के नेताओं से कहा है कि वो बच्चों और बुजुर्गों को वापस घर भेज दें क्योंकि कोरोना लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. ऐसे में किसानों को और उनकी यूनियनों को कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वो प्रदर्शनों को आगे बढ़ा दें और हमारे साथ समस्याओं पर चर्चा करें।