कृषि बिल : विरोध के बाद अब समर्थन में सामने आई तेलंगाना सरकार
केंद्र सरकार के पारित किए गए नए कृषि कानूनों का विरोध करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति सरकार ने यू टर्न ले लिया है। इससे साफ है कि तेलंगाना सरकार केंद्र के नए कृषि कानूनों के समर्थन में है क्योंकि उसे परंपरागत खेती से उपज की खरीदी में बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।रविवार देर रात मुख्यमंत्री केसीआर के आवास प्रगति भवन में हुई कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में चालू वर्ष की वर्षा कालीन मौसम में लागू की गई नियंत्रित खेती पद्धति को रद्द करने को बेहतर बताते हुए यह संकेत दिए हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले राव ने किसानों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया था और संसद में कानून के खिलाफ टीआरएस ने मतदान किया था।
सीएम राव का कहना है कि राज्य सरकार को किसानों से कृषि उत्पाद खरीदने की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि नए कृषि कानून पूरे देश में लागू हो गए हैं , जिससे कि देशभर में किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले राव ने किसानों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया था और संसद में कानून के खिलाफ टीआरएस ने मतदान किया था।
कृषि विभाग ने बीती रात एक जारी किए गए अपने प्रेस नोट में कहा है कि तेलंगाना राज्य के गठन से अब तक धान, मकई, ज्वार, तूअर और चना दाल, सनफ्लावर, उड़द आदि की खरीदी करने में सरकार को लगभग 75000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि किसानों को समर्थन मूल्य देकर खरीदे गए इन उत्पादों की मार्केट में अपेक्षित खपत नहीं होने के कारण सरकार उनको कम दामों पर बेचना पड़ा। इसके चलते सरकारी खजाने को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री केसीआर को बताया गया कि मात्र धान की खरीदी से ही सरकार को अब तक 3935 रुपये करोड़ का घाटा हुआ है। अलग-अलग उत्पादन के खरीदी और अन्य खर्च को मिलाकर देखा जाए तो और राज्य सरकार को 75000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
