…दूसरा विवाह अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता

किसी हिंदू महिला या पुरुष द्वारा उसके तलाक के फैसले के खिलाफ की गई अपील के दौरान अगर दूसरा विवाह किया जाता है तो वो गैर-कानूनी है तो है लेकिन उसे अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता है, इस कृत्य को अदालत की अवमानना ​​भी नहीं माना जा सकता है।

न्यायमूर्ति अनिल किलोर ने पिछले हफ्ते कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 15 में तलाक का फैसला आने के बाद उसके खिलाफ दायर की गई अपील अगर खारिज कर देने की स्थिति में ही दूसरी शादी की अनुमित दी जाती है, चूंकि अधिनियम में प्रावधान का उल्लंघन करने पर कोई परिणाम नहीं दिया गया है इसलिए ऐसी शादी को अमान्य भी नहीं कहा जा सकता।