सुरेंद्र किशोर : सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च जरूर है,पर सटीक नहीं.. इमर्जेंसी में दिए गए अपने एक गलत निर्णय को खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी भूल मान कर सन 2011 में उसे पलट दिया था
सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च जरूर है,पर सटीक नहीं
इमर्जेंसी में दिए गए अपने एक गलत निर्णय को
खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी भूल मान कर सन
2011 में उसे पलट दिया था
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वक्फ संशोधन कानून पर क्या निर्णय होगा,उस
संबंध में अभी कोई अटकलबाजी गलत भी
साबित हो सकती है
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आपातकाल में इंदिरा गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों को , जिसमें जीने का भी अधिकार शामिल है,स्थगित कर दिया गया है।
तब सरकारी वकील ने तब कोर्ट से यह भी कहा था कि यदि आज पुलिस किसी की जान भी ले ले तो भी उसके खिलाफ अदालत में केस नहीं हो सकता।
तब के ‘‘पालतू या डरे हुए सुप्रीम कोर्ट’’ ने केंद्र सरकार के उस कदम को सही ठहरा दिया था।यानी संविधान को गहरी नींद में सुला दिया गया था।
1976 में सिर्फ एक जज हंसराज खन्ना ने, जिनके परिवार के सदस्य इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं,अपनी अलग राय देते हुए कहा था कि ‘‘सरकार मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ सुनवाई के अधिकार को किसी भी स्थिति में नहीं छीन सकती।’’
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सुप्रीम कोर्ट ने सन 2011 में सन 1976 के अपने ही निर्णय को गलत बताते हुए उसे उलट दिया।
एडीएम, जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ल मामले में हुए फैसले को 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए कहा था कि 1976 में इस कोर्ट ने भूल की थी।
यानी उम्मीद की जानी चाहिए कि सुपीम कोर्ट वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की वैधता पर विचार करते हुए ऐसा कोई निर्णय नहीं करेगा जिससे भाजपा सांसद निशिकांत दुबे
की आशंका सही साबित हो।
सुप्रीम कोर्ट में इतना नैतिक बल जरूर है कि वह अपनी भूलों को बाद में सुधार भी देता है।
नये वक्फ संशोधन कानून के विरोधी यह चाहते हैं कि जिस 40 लाख एकड़ जमीन पर वक्फ का दावा है,उसे बरकरार रहने दिया जाये।जिसमें से अधिकांश जमीन के दावे की पुष्टि के लिए वक्फ के पास कोई कागजी सबूत नहीं है।
यदि ‘‘वक्फ बाई यूजर्स’’ के तर्क को सुप्रीम कोर्ट सही ठहरा देगा तो उस जमीन पर कब्जे को लेकर भारी अशांति होगी या नहीं ?
उस जमीन के पक्ष में, जिसके पास सबूत के सरकारी कागजात हैं,वे उस दावे को यूं ही छोड़ देंगे ?
वैसे अभी तो सरकारी वकील को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना है।सरकारी वकील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णय सुनाएगा।
उसके बाद क्या निर्णय होगा,उस संबंध में कोई अटकलबाजी सही नहीं है।
इससे पहले सुनवाई के समय अदालत ने जो टिप्पणियां की हैं,शायद उसी को लेकर भाजपा सांसद आशंका जाहिर कर रहे हैं।
