डॉ. भूपेंद्र सिंह : जातिवाद.. भाजपा को कांग्रेस से यह कला सीखनी पड़ेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में अथाह मेहनत की है और उसी कारण इतने भयानक जातीय गोलबंदी के बावजूद भाजपा कांग्रेस से ढाई गुना आगे है। मोदी का चेहरा आज भी लोगों में सबसे अधिक मान्य है और भाजपा का मत प्रतिशत पूर्व की भाँति बरकरार रहा है।


जातिय भगदड़ को बहुत ही सटीक तरीक़े से अंजाम दिया गया और आज भी उस भगदड़ में शामिल लोग कांग्रेस के समर्थन को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं पर वह इस बात से खुश हैं कि इन्होंने मोदी जी को सबक़ सिखा दिया। वास्तविकता यह है कि यदि उम्मीदवारों के चयन में भाजपा संगठन ने थोड़ी भी मेहनत की होती तो आज फिर से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बजाय पूर्ण बहुमत वाली पार्टी होती। उबाऊ, थकाऊ, ज़मीन से कटे, रिपीटेड उम्मीदवारों ने लोगों के असंतुष्टि को एक कारण दे दिया। बहुत से लोग जातीय गोलबंदी के कारण भाजपा के विरोध में पहले से थे लेकिन उनका जमीर किसी अन्य पार्टी को वोट देने से रोक रहा था। लेकिन उम्मीदवारों ने ऐसे लोगो को स्पष्ट मौक़ा दे दिया।

जातिगत माँगो के संबंध में विभिन्न जातियों के माँगों का ठेका छोटी छोटी जातीय आधार रखने वाली पार्टियों के पास चला गया है। भाजपा के अंदर संबंधित जाति के नेता अपने समाज के मुद्दों पर मौन रहते हैं। भाजपा को कांग्रेस से यह कला सीखनी पड़ेगी कि किस प्रकार से वह आपसी विरोधी जातियों के नेताओं को आराम से अलग अलग मुद्दों पर भौंकने देते हैं और वह एक साथ पार्टी में बने रहते हैं। जाति नाम का मेंटल डिसऑर्डर हमारे समाज में बहुत पुराना है। इसका स्थायी इलाज संगठन करे लेकिन जब तक वह इलाज पूर्ण नहीं होता तब तक इसका सिंपटोमैटिक ट्रीटमेंट यहीं है कि अपने नेताओं को भी भौकने दिया जाय।
कुछ और विषय जिस पर भाजपा के प्रवक्ताओं की न कोई ट्रेनिंग हुई और न ही उन्होंने उसे छुआ।

वास्तविकता यह है पिछले दस साल में देश में प्राइवेट सेक्टर में अथाह ग्रोथ हुआ है। लोगों को उनके सऊर के अनुसार बहुत रोज़गार दिया गया है। भाजपा के प्रवक्ता इस बात को बोलने से इनकार करते रहे। हम सब के आँखों के सामने सबके जीवन स्तर में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। सबके शरीर में बिना फटे कपड़े दिखाई दे रहे हैं, भूख से होने वाली मौत इस देश से समाप्त हो चुकी है। कई करोड़ लोगों के सिर पर छत आ गई। करोड़ों लोगों ने शौच करने का तरीक़ा सीखा है। अधिकांश आबादी के पास अब दो जोड़ी से अधिक कपड़े, एक जोड़ी से अधिक जूते चप्पल हैं। लोगों को इलाज की सुविधा मिली है, इलाज न मिलने के कारण होने वाली मौतें बहुत कम हुई हैं। लेकिन इसको ठीक से कोई बोलने वाला नहीं मिला। महंगाई पिछले एक दशक से सबसे कम दर से बढ़ी लिखने इसको बोलने में हर प्रवक्ता कतराते रहे।
ऐसे और कई कारण हैं जिस को मैं लिख सकता हूँ लेकिन फ़िलहाल मुझे ये कारण नज़र आ रहे हैं जिस कारण पार्टी कम से कम और तीस चालीस सीट लाने में नाकामयाब हुई है। मोदी जी ने दूसरे चरण के बाद जो मेहनत की है वह हमें यह सीख देता है कि चाहे आपकी उम्र कोई भी हो, चाहे आपकी अवस्था कोई भी हो लेकिन जब आपको व्यक्तिगत रूप से पता चल जाता है कि हमारी तरफ़ चीजें ठीक नहीं चल रहीं तो अथाह मेहनत और परिश्रम करके उसे ठीक करने के लिए जी जान लगा दिया जाता है।
बाक़ी शेष बातें कभी और…

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