अमित सिंघल : अभिजात वर्ग प्रधानमंत्री मोदी को क्यों हटाना चाहता है.. टूल किट का नया अस्त्र क्या है..!

इंडियन एक्सप्रेस में योगेंद्र यादव का लेख पढ़ा।

योगेंद्र लिखते है कि यदि हम अपने पड़ोसियों की तरह (अराजकता की ओर) फिसलना या गिरना नहीं चाहते है, जहां सभी चुनाव परिणामों पर चुनावों से अधिक विवाद होता है, तो हमें अभी कार्रवाई करनी होगी।

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उन्हें महाराष्ट्र के चुनाव परिणामो से आपत्ति है जिसमे भाजपा गठबंधन ने लोक सभा चुनावो की तुलना में 15% रिवर्स स्विंग अपने फेवर में प्राप्त किया। लेकिन योगेंद्र झारखंड के परिणामो को इग्नोर कर गए जहाँ लोकसभा की तुलना में वोटों का ठीक वैसा ही 15% रिवर्स स्विंग JMM-कांग्रेस के पक्ष में देखा गया।

अतः योगेंद्र महाराष्ट्र के चुनावो की “फोरेंसिक” जांच (जैसे पुलिस किसी अपराध को सुलझाने के लिए साक्ष्य जुटाती है) करवाना चाहते है। लेकिन झारखण्ड में नहीं।

यह लिखना कि अगर हम अपने पड़ोसियों की तरह फिसलना या गिरना नहीं चाहते है… मीठी, छद्म वाणी में दिल्ली में ढाका की तरह लोकतान्त्रिक सरकार पलटवाने की आकांक्षा है।

लोक सभा चुनाव में सोनिया पार्टी द्वारा लोक सभा चुनावो में 99 सीट जीतने पर सुप्रिया श्रीनेत की प्रसन्नता को कैसे एक्सप्लेन करेंगे? क्या यह जीत सोनिया पार्टी की अपेक्षा से अधिक नहीं थी? या फिर वायनाड में प्रियंका की जीत को?

तभी मैं कुछ वर्षो से लिखता आ रहा हूँ कि अभिजात वर्ग ने प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाने के लिए झूठ, छल और कपट का सहारा ले रहा था। अब उसने हिंसा को भी अपनी टूलकिट (कारीगरों के टूल का बक्सा) में जोड़ लिया है।

भारत में हिंसा भड़काने के लिए अभिजात वर्ग (इसमें विदेशी माफिया भी शामिल है) अलगाववादी एवं सांप्रदायिक तत्वों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, घुसपैठियों और अपराधियों का उपयोग कर रहा है।

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