सुरेंद्र किशोर : उस किसान की पूछ परख बढ़ जाती है जो..

जो किसान परिवार अपने बेहतर आर्थिक प्रबंधन से
अपनी आय कुछ ही समय में ‘‘दुगुनी-तीगुनी’’ बढ़ा लेता है,
उसकी घर-बाहर पूछ बढ़ जाती है।

सन 1985 में प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि हम दिल्ली से 100 पैसे भेजते हैं ,पर,उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही गांवों तक पहुंच पाते हैं।
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यानी, 85 प्रतिशत राशि बिचैलिये लूट लेते हैं।
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अब भी लूट जारी है,पर पहले से कम।
इसीलिए गत 10 साल में भारत सरकार के राजस्व में रिकाॅर्ड बढ़ोत्तरी हुई है।सब काम तो पैसे से ही होना है।हो भी रहा है।बाहर-भीतर धाक बढ़ी है।पहले तो चीन सीधे मुंह बात नहीं करता था।आपस में लड़ रहे दो देश पहले भारत को पंच बनाने लायक भी नहीं समझता था।
आज भारत के पास इस तरह सेेे ‘‘साधनों’’में बढ़ोत्तरी हो रही है कि वह किसी बाहरी आक्रमण या भीतरी उपद्रवों का सफलतापूर्वक सामना कर सकता है।
ISRAEL IN MAKING

2013-14 वर्ष में भारत सरकार का कुल राजस्व 10 लाख 15 हजार करोड़ रुपए था।
2023-24 में भारत सरकार का कुल राजस्व 27 लाख 88 हजार करोड़ रुपए रहा।राजस्व बढ़ता ही जा रहा है।
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मोदी मंत्रिमंडल में पहले जैसे लुटेरे मंत्री नहीं दिखाई पड़ रहे हैं।
अन्यथा, कोर्ट में लोकहित याचिकाओं की बाढ़ आ जाती।पर मोदी मंत्रिमंडल स्तर से नीचे के स्तर के सरकारी महकमे के भ्रष्टाचार पर रोक अभी नहीं लग पा रही है।कुछ ही ईमानदार और कत्र्तव्यनिष्ठ मिलेंगे।वहां सुधार की सख्त जरूरत हैै।

मनमोहन सिंह के शासन काल में मशहूर वकील राम जेठमलानी ने रजत शर्मा के ‘‘आपकी अदालत’’कार्यक्रम में कहा था कि ‘‘हमारे देश के नेता डाकू हैं।’’
जाहिर है कि वे सभी नेताओं के बारे में नहीं कह रहे थे।
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हां, मनमोहन मंत्रिमंडल के एक मंत्री के बारे में बाद में पता चला कि उसने विदेश में करीब 1.35 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति छह देशों में बना ली।
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कल्पना कीजिए,गांव के जिस परिवार की आय बेहतर आर्थिक प्रबंधन के कारण तिगुनी बढ़ जाये,आय बढ़ती भी जाये,उस परिवार के मुखिया की धाक और इज्जत घर के भीतर और बाहर बढ़ जाती है।
पर,जो किसान अपनी पुश्तैनी 100 एकड़ जमीन में से 85 एकड़ बेचकर पैसे एय्याशी में लुटा देता है,उसकी समाज में थू थू होती है।उसे कोई नहीं पूछता।

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