चंदर मोहन अग्रवाल : “नेतृत्व पर विश्वास” …तो दुनिया का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि यह भारत..

जब भारत ने अरिहंत पनडुब्बी बनाई थी तो दुनिया का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि यह भारत की पहली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी थी। परमाणु पनडुब्बियों की खासियत यह होती है कि यह न्यूक्लियर रिएक्टर द्वारा अपना फ्यूल खुद पैदा करती है और इन्हें बार-बार फ्यूल लेने के लिए बाहर नहीं आना पड़ता और यह महीनों तक पानी के अंदर विचरण कर सकती है जिसके कारण इनकी पोजीशन का दुश्मन देश को पता ही नहीं चलता।

फिर भारत ने बनाई आईएनएस अरिघाट जो कि अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी का उन्नत संस्करण है। यह विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में परमाणु पनडुब्बी बनाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी पोत (एटीवी) परियोजना के तहत भारत द्वारा बनाई गई दूसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है और इसका कोड नाम S3 है।

इसके अवतरण के बाद दुनिया के कान खड़े हो गए। रूस अमेरिका फ्रांस जर्मनी जैसे देशों को समझ लगनी शुरू हो गई कि अब भारत उनका ग्राहक नहीं रहा।
लेकिन जिस तेजी से भारत ने अपनी तीसरी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी जो की अरिघाट का भी बाप है को अगले 6 महीना में लॉन्च करने की योजना बनाई है उससे दुनिया की सभी महाशक्तियों को पसीना आना शुरू हो गया है और इसके दो कारण है:
1. यह पनडुब्बी परमाणु हथियारों से लैस होकर समुद्र के अंदर ही अंदर किसी भी देश की सीमा के पास पहुंचकर परमाणु मिसाइल (ब्रह्मोस) को लांच कर सकती है जिसे रोक पाना किसी भी देश के लिए असंभव है और परमाणु बम कितनी तबाही मचाएगा उस विषय पर ज्यादा डिटेल में जाने की जरूरत नहीं है।
2. दूसरा भारत जितनी तेजी से परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है उससे बड़े से बड़ा ताकतवर देश भी भारत की ताकत के आगे बेबस और नतमस्तक हो जाएगा।

यहां यह बताना जरूरी समझता हूं कि जहां एक और भारत कभी जर्मनी, कभी फ्रांस और कभी रूस के आगे हाथ जोड़कर एयर प्रोपल्शन वाली पनडुब्बियों के लिए याचक बनकर हाथ जोड़ रहा है वहीं भारत स्वयं परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बीयों का तेजी से निर्माण कर रहा है।

जल्द ही भारत एयर प्रोपल्शन वाली पनडुब्बियों के निर्माण की तकनीक का भी स्वयं ही विकास कर लेगा।

हां हां ऐसा है विश्वास ।
हम होंगे कामयाब ।
एक दिन ।

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