सुरेंद्र किशोर : आपातकाल में ऐसे हुई थी संविधान की हत्या
आपातकाल में ऐसे हुई थी संविधान की हत्या
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पढ़िए प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के संयुक्त सचिव
बिशन टंडन,आई.ए.एस. अफसर के संस्मरण
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27 जून 1975
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बिशन टंडन की डायरी
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आपातकाल
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उस दिन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि मैं
जनसंघ और माकपा की सरकार नहीं बनने दूंगी
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एक तानाशाह का अहंकार या अति आत्म विश्वास तो देखिए !
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(पर ,उल्टा हुआ–
1977 में केंद्र में जो सरकार बनी,उसमें जनसंघ घटक भी था
पश्चिम बंगाल में 1977 और त्रिपुरा में 1978 में सी.पी.एम.की सरकार बन गई।)
सन 1975 में देश में इमरजेंसी लगाने के कुछ ही घंटे बाद प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने केंद्र सरकार के सचिवों की बैठक में कहा था कि
‘‘भारत में दूसरे दल की सरकार भले बन जाए,पर मैं माक्र्सवादी कम्युनिस्टों और जनसंघ की सरकार नहीं बनने दूंगी।’’
कुछ अतिरिक्त सचिव भी उस बैठक में थे।
प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के तब के संयुक्त सचिव बिशन नारायण टंडन की
डायरी में दर्ज 27 जून, 1975 के विवरण के अनुसार,
‘‘ प्रधान मंत्री ने कहा कि प्रतिपक्ष नाजीवाद फैला रहा है।
नाजीवाद केवल सेना और पुलिस के उपयोग से ही नहीं आता है।
कोई छोटा समूह जब गलत प्रचार करके जनता को गुमराह करे तो ,वह भी नाजीवाद का लक्षण है।(सन 2024 के लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस तथा अन्य कुछ दलों ने यह प्रचार किया कि 400 सीटें जीत कर भाजपा संविधान बदल देगी और आरक्षण समाप्त कर देगी।इंदिरा गांधी की कसौटी मानी जाए तो यह था नाजीवाद।)
आपतकाल में इंदिरा गांधी ने कहा था–जयप्रकाश के आंदोलन के लिए रुपया बाहर से आ रहा है।
सी.आई.ए.बहुत सक्रिय है।(सोवियत खुफिया एजेंसी) के.जी.बी. का मुझे कुछ पता नहीं।
लेकिन उनके कार्य का कोई प्रमाण अभी तक सामने नहीं आया है।
(मतलब यह था कि इंदिरा जी मान रही है कि के.जी.बी. के लोग भारत में कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। जबकि मित्रोखिन पेपर्स और अन्य स्त्रोतों के अनुसार सी.आई.ए. के अलावा के.जी.बी. भी भारत में काफी सक्रिय रहा था।)
प्रतिपक्ष का सारा अभियान मेरे खिलाफ था। ’’
बिशन टंडन लिखते हैं कि प्रधान मंत्री की बातों से लगा कि उनके सिवा उन्हें कोई ऐसा व्यक्ति नजर नहीं आता जो इस समय देश के सामने आई चुनौतियों का सामना कर सके।
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25 जून 1975 की ‘‘बिशन डायरी’’
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शारदा ने यह भी बताया कि प्रधान मंत्री निवास पर पूरा कंट्रोल संजय(गांधी)ने ले लिया है।
मंत्रिपरिषद की मिटिंग के बाद उसने यानी संजय ने (सूचना-प्रसारण मंत्री इंदर कुमार)गुजराल को बुलाकर प्रचार कार्य के प्रति अप्रसन्नता और असंतोष प्रकट किया।
