समर प्रताप : वो वंदेमातरम और भारत माता के नारों के बीच अपनी प्रॉब्लम भूलकर नाचता है
ज्यादा समझदार लोगो के लिये देश ज्यादा जरूरी नही होता वो इधर से निकल के कनाडा अमेरिका ब्रिटेन कंही भी जीवन निकाल देना चाहेंगे।
और अत्यधिक समझदार होने पर माँ बाप पति या पत्नी भी जरूरी नही होता है उन्हें वँहा कोई कैसे भी रख ले, ये बाहर खुश रह लेंगे।
ज्यादा ताकतवर को अगर जंहा रह रहा है वँहा सत्ता न मिले तो वो उसी जगह के टुकड़े करके या दूसरों के साथ मिलकर सत्ता प्राप्ति की कोशिश करता है।
जो जितना देश को लूटेगा ख़सूटेगा वो उतना अपने देश के प्रति कम वफादार होगा क्योकि उसे पैसे चाहिए या सत्ता।
लेकिन इन सबसे अलग एक अलग जमात होती है जिसकी कोई जाति और धर्म नही होता।
जो देश ने उसे क्या दिया नही सोचता है हमने देश के लिये क्या किया है खुद से पूछता है।
वो देश की हर हार में दुःखी होता है हर जीत को अपनी मानता है।
वो स्कूल हो चाहे थियेटर वँहा खड़ा होकर जनगण मन
जोर- जोर से गाकर भारत माता की जय बोलता है।
वो वंदेमातरम और भारत माता के नारों के बीच अपनी प्रॉब्लम भूलकर नाचता है।

हाआं इसलिए ही ऐसे लोगो से भगतसिंह, सावरकर, चंद्रशेखर आजाद शिवाजी महाराणा निकलते है।
क्योकि जो मातृभूमि का नही वो न जाति का होगा न धर्म का न पार्टी का बस वो बिकाऊ है।
हमारे आर्मी में बोलते थे देश का नारा चाहे ट्रेनिंग देकर बुलवा लो,चाहे दिल से बोल लो या फिर डंडे मारके बुलवाओ लेकिन वो लगने चाहिए ।
क्योकि अगर देश ही नही होगा तो कुछ नही होगा।
