चंदर मोहन अग्रवाल : पेट्रोल के दाम कम क्यों नहीं हो रहे..

जब भारत में इतना पेट्रोल मिला है तो सरकार पेट्रोल को सस्ता क्यों नहीं कर रही?

यह खबर जानकर मेरे बहुत से मित्र तेल की कीमत को लेकर रुष्ट हैं और कहते हैं कि इसपर जरूर लिखा जाए।

Veerchhattisgarh

मोदी से पहले 10 वर्ष तक कांग्रेस ने राज किया। उस समय ऐसा भी समय आया कि जब पेट्रोल का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 100 डालर प्रति बैरल हो गया था। उसका पूरा बोझ जनता पर न पड़े उससे बचने के लिए कांग्रेस सरकार ने आयल बांड जारी किए थे जो लाखों करोड़ रुपयों के थे। उन ऑयल बॉन्ड्स पर सरकार ने 10 वर्ष पश्चात मूलधन के साथ साथ ब्याज भी चुकाना था। पाठकों को याद होगा तब मनमोहन जी से जब रक्षा सम्बंधित खरीद के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि पैसे कोई पेड़ पर नहीं लगते।

उस समय की सरकार ने देश की प्रगति के लिए होने वाले सारे खर्च को रोक कर घोटालों आदि में व्यय करना शुरू कर दिया था। इंफ्रास्ट्रक्चर, मैनुफैक्चरिंग और डिफेंस पर होने वाले खरच को लगभग पूरी तरह से रोक दिया गया था।

आम जन रोजमर्राह की वस्तुओं में बढ़ रहे दामों के बावजूद भी खुश था क्योंकि उसे चीनी फैक्टरियों में बन रहे सस्ते माल उपलभ्ध थे। पर देश बुरी तरह से लुट रहा था। मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स धड़ाधड़ बन्द हो रहे थे। भारतीय मनुफैक्चर माल बनाने की जगह चीन से माल ला कर मोटा मुनाफा काट रहे थे। लगभग सभी वर्ग खुश थे पर देश बुरी तरह से लुट रहा था, गरीब हो रहा था और धीरे धीरे चीन पर पूरी तरह से आश्रित हो रहा था।

आज इन पेट्रोल की दामों की वजह से ही देश में आई भारी कोरोना विपत्ति के बावजूद देश सामर्थ्य पूर्ण स्थिति में इस विपत्ति से लड़ रहा है।
80 करोड लोगों को 48 माह तक मुफ्त भोजन की स्कीम को पूरा विश्व आश्चर्य की नजरों से देख रहा है।

130 करोड़ लोगों का मुफ्त टीका करन भी विदेशों में चर्चा का विषय है।

देश के पास लगभग खत्म हो चुकी युद्ध सामग्री भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

उन्नत से उन्नत क्वालिटी की युद्ध सामग्री, हथियार, लड़ाकू जहाज, हेलीकाप्टर, ड्रोन्स, एयर डिफेंस सिस्टम आदि खरीदे जा रहे हैं।

संसार की सबसे शक्तिशाली और अति विनाशकारी विभिन्न तरह की मिसाइल्स का उत्पादन भी देश मे ही हो रहा है।

चीन को भी पछाड़ते हुए विश्व में पहले नम्बर पर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। प्रतिदिन सड़कों का विकास करने में भारत विश्व में पहले नम्बर पर आ गया है।

सरहद पर फौजी 12 महीनो समय से पहुंच सकें उसके लिए 30 से भी ज्यादा सुरँगों का विकास किया गया है।

जिन वस्तुओं पर चीन का लगभग एकाधिकार था उन सब वस्तुओं की भारत में मैनुफैक्चरिंग करने के लिए PLI स्कीम के अंतर्गत उद्योग पतियों को अरबों रुपयों का फंड दिया जा रहा है। लीथुमिन बैटरी, सोलर सेल्स, सोलर एनर्जी रिलेटेड प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक और एलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट्स, कंप्यूटर, कम्प्यूटर एसेसरीज, CCTV, मोबाइल फोन्स, केमिकल्स, खिलोने, कपड़ा उद्योग स्टेशनरी और न जाने क्या क्या जिनकी फैक्टरियां भारत में बंद होती जा रही थीं या कभी शुरू ही नहीं हुई थी उनको भारत में फिर से शुरू करने के लिए जरूरी पैसा, इंफ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग की सुविधा दी जा रही है।

भविष्य में विश्व पर राज करने वाली योजनाओं जैसे कुवाण्टम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर चिप, 5G, 6G, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, ह्यड्रोजेन फ्यूल आदि पर पूरे जोर शोर से काम किया जा रहा है।

लगता है पैसा पेड़ पर तो नहीं हाँ पेट्रोल पर जरूर लग रहा है। यहां एक बात और बतानी जरूरी है कि केंद्र के साथ साथ राज्य सरकारों को भी वैट के रूप में बराबर का हिस्सा मिलता है पर उसे कुछ मुख्यमंत्री राज्य की उन्नति पर खर्च करने की बजाए अपनी इमेज चमकाने और बिना जरूरी TV पर विज्ञापन देने में खर्च कर देते हैं।

अभी भी मोदी सरकार ने पेट्रोल बांड्स के सिर्फ 80 हजार करोड़ रुपये ही चुकाए हैं और अभी भी लाखों करोड़ रुपये चुकाने बाकी हैं।

तो भाइयों पेट्रोल में राहत को भूल जाओ। तुम्हें राहत चाहिए या देश का चहुं मुखी विकास।

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